उच्च न्यायालय ने हाल ही में कानूनी सेवा प्राधिकरण को ऐसे लंबित मामलों की समीक्षा करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने आरोपियों की ओर से दायर अपीलों पर प्राथमिकता के आधार पर सुनवाई के लिए यह समीक्षा करने का आदेश दिया है| न्यायमूर्ति कोतवाल की एकल पीठ ने नाबालिग लड़की से बलात्कार के आरोप में अगस्त 2019 में दोषी ठहराए गए आरोपी द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के दौरान यह आदेश पारित किया। अनावश्यक कारणों से लंबे समय से लंबित मामले बंदियों के बीच पूर्वाग्रह पैदा करते हैं। इसलिए, अपीलों को प्राथमिकता देने के लिए न्यायालय के विधिक सेवा प्राधिकरण ने आदेश दिया कि इस मामले को सभी लंबित मामलों की समीक्षा करने की आवश्यकता है।
बता दें कि आरोपी ने 2019 में याचिका दायर की थी। उन्होंने अदालत से अनुरोध किया था कि वह अपना मामला पेश करने के लिए एक वकील नियुक्त करें, जिसमें कहा गया था कि घर की वित्तीय स्थिति खराब थी। आरोपी ने याचिका में कहा था कि निचली अदालत के फैसले को चुनौती नहीं दी जा सकती क्योंकि परिवार की खराब आर्थिक स्थिति के कारण निजी वकील की नियुक्ति संभव नहीं है|
कोर्ट ने आरोपी की याचिका पर संज्ञान लेते हुए उसे वकील उपलब्ध कराने का आदेश दिया। इसी के तहत इस साल जुलाई में हाईकोर्ट के लीगल सर्विसेज अथॉरिटी ने आरोपी को वकील मुहैया कराया था| इसके बाद आरोपी ने इस वकील के जरिए सजा के खिलाफ अपील दायर की। निचली अदालत के फैसले के बाद 90 दिनों के भीतर अपील दायर करने का प्रावधान है।
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