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भारत की ED का विश्वभर में डंका; FATF ने भी बनाया ‘वैश्विक मानक’

एफ़एटीएफ का 30 साल में सबसे बड़ा सुधार

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वित्तीय अपराध और मनी लॉन्ड्रिंग पर नकेल कसने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने अपनी अब तक की सबसे बड़ी सुधार प्रक्रिया के तहत एक नई गाइडेंस जारी की है। इस गाइडेंस का नाम “एसेट रिकवरी गाइडेंस एंड बेस्ट प्रैक्टिसेज” है, जो दुनिया के सभी देशों को यह निर्देश देती है कि अपराधियों द्वारा अर्जित अवैध संपत्तियों को कैसे ट्रैक किया जाए, जब्त किया जाए और पीड़ितों तक वापस पहुँचाया जाए। यह सुधार पिछले तीन दशकों में सबसे बड़ा ढांचागत बदलाव माना जा रहा है।

इस नई गाइडेंस में भारत की प्रवर्तन निदेशालय (ED) को विशेष रूप से सराहा गया है। FATF ने यह कहा है कि वित्तीय अपराधों की जांच, अवैध संपत्तियों की जब्ती और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई में भारत की जांच प्रणाली अब एक ग्लोबल बेंचमार्क बन चुकी है। उल्लेखनीय है कि भारत केवल इस प्रक्रिया में शामिल ही नहीं था, बल्कि इन वैश्विक नियमों को बनाने में सक्रिय नेतृत्वकारी भूमिका भी निभाई। ईडी के अधिकारियों ने पिछले दो वर्षों में तकनीकी चर्चा और दस्तावेज निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

नई गाइडेंस में एक ऐतिहासिक बदलाव यह है कि अब देशों के लिए यह जरूरी किया जा रहा है कि वे बिना आपराधिक दोष सिद्ध हुए भी अवैध संपत्ति को जब्त कर सकें। यह उन मामलों में बेहद महत्वपूर्ण है, जहां आरोपी देश छोड़कर भाग चुके हों या मुकदमे को जानबूझकर लंबा खींच रहे हों। इस संदर्भ में FATF ने भारत के 2018 के ‘फ्यूजिटिव इकोनॉमिक ऑफेंडर्स एक्ट’ को विशेष रूप से दुनिया के लिए आदर्श कानून बताया है। इसके साथ ही मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक अधिनियम (PMLA) को भी अत्यंत प्रभावी कानूनी ढांचा माना गया।

नई रिपोर्ट में भारत के कई बड़े मामलों को केस स्टडी के रूप में शामिल किया गया है, ताकि अन्य देश उनसे सीख ले सकें। एग्री गोल्ड निवेश घोटाले में लगभग ₹60,000 करोड़ मूल्य की संपत्तियों को जोड़कर लाखों निवेशकों को राहत दिलाने की कार्रवाई को FATF ने विशेष प्रभावी मॉडल बताया। इसी तरह IREO रियल एस्टेट मामले में ₹1,777 करोड़ की वैल्यू आधारित जब्ती, बिटकनेक्ट क्रिप्टो घोटाले में ₹1,646 करोड़ मूल्य की डिजिटल संपत्तियों की रिकवरी, और बानमीत सिंह ड्रग ट्रैफिकिंग केस में भारत-अमेरिका की संयुक्त कार्रवाई के तहत 268.22 बिटकॉइन (लगभग ₹1,300 करोड़) की जब्ती को भी FATF ने सराहा।

एफएटीएफ ने विशेष रूप से इस बात को उजागर किया कि भारत केवल अभियोजन और जब्ती नहीं करता, बल्कि पीड़ितों तक पैसा पहुँचाने की प्रक्रिया को भी प्राथमिकता देता है। जैसे रोज़ वैली चिट फंड मामले में ₹538 करोड़ की संपत्ति वापस कर 75,000 से अधिक निवेशकों को राहत दी गई। इसी तरह पेन अर्बन को-ऑप बैंक धोखाधड़ी में ₹290 करोड़ की संपत्तियों को जब्त कर जमाकर्ताओं की भरपाई सुनिश्चित की गई।

इस रिपोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत अब वैश्विक वित्तीय अपराध विरोधी ढांचे में नेतृत्वकारी भूमिका निभा रहा है, और दुनिया भर की एजेंसियाँ भारत के कानूनों, तरीकों और तकनीकी मॉडल को अपनाने की दिशा में आगे बढ़ेंगी।
भारत की यह बढ़ती हुई वैश्विक विश्वसनीयता अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी आर्थिक और रणनीतिक ताकत को और मजबूत करती है।

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