भारतीय वायु सेना (IAF) और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने शुक्रवार (11 जुलाई) को ओडिशा तट के पास से स्वदेशी रेडियो फ्रीक्वेंसी (RF) सीकर से युक्त अस्त्र मिसाइल का सफल परीक्षण किया। यह परीक्षण न केवल भारत की वायु रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
यह परीक्षण बंगाल की खाड़ी के ऊपर किया गया, जहां Su-30 MKI लड़ाकू विमान से दो बार अस्त्र मिसाइलों को दागा गया। ये परीक्षण तेज़ गति से उड़ रहे मानव रहित लक्ष्यों के खिलाफ किए गए थे, जो विभिन्न दिशाओं और दूरियों पर उड़ रहे थे। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, दोनों मिसाइलें अपने लक्ष्यों पर सटीकता से लगीं, जिससे इसके उच्च तकनीकी प्रदर्शन की पुष्टि हुई।
अस्त्र मिसाइल एक बीवीआरएएएम (Beyond Visual Range Air-to-Air Missile) है, जिसे दुश्मन के विमानों को उस समय मार गिराने के लिए बनाया गया है जब वे लॉन्चिंग विमान की दृष्टि सीमा से बाहर होते हैं। इस मिसाइल में स्वदेशी रूप से विकसित रेडियो फ्रीक्वेंसी (RF) सीकर लगाया गया है जो लक्ष्य की पहचान कर उसे सटीकता से निर्देशित करता है।
RF सीकर का विकास पूर्णतः भारत में हुआ है, जो देश की रक्षा अनुसंधान क्षमताओं में आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ी उपलब्धि है। इस तकनीक से भारत को विदेशी मिसाइल प्रणालियों पर निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी। इस सफल परीक्षण के साथ भारत ने वायु से वायु में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर पार किया है। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, ऐसे परीक्षण भारतीय वायु सेना की युद्ध क्षमता को बढ़ाते हैं और देश की सामरिक तैयारी को और मजबूत करते हैं।
रक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि, “स्वदेशी अस्त्र मिसाइल प्रणाली के सफल परीक्षण से भारत आत्मनिर्भर रक्षा क्षेत्र की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।” उन्होंने यह भी कहा कि यह सफलता भारत को विदेशी हथियार प्रणाली पर निर्भरता कम करने और स्थानीय उत्पादन बढ़ाने में सहायता करेगी। अधिकारियों के अनुसार, अस्त्र मिसाइल को भारतीय वायु सेना के नियमित हथियारों के तौर पर शामिल करने से पहले कुछ और परीक्षण किए जाएंगे। इसके संचालन में आने के बाद यह Su-30 MKI जैसे आधुनिक लड़ाकू विमानों को और अधिक मारक क्षमता प्रदान करेगी।
भारत द्वारा स्वदेशी तकनीक से विकसित अस्त्र मिसाइल का सफल परीक्षण देश की रक्षा स्वावलंबन की दिशा में एक और मजबूत कदम है। यह मिशन केवल तकनीकी सफलता नहीं, बल्कि भारत की रणनीतिक स्वायत्तता और आत्मनिर्भरता की पहचान भी बनता जा रहा है। आने वाले समय में अस्त्र जैसी मिसाइलें भारत को वैश्विक रक्षा मानचित्र पर एक मजबूत स्थान दिलाने में सहायक होंगी।
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