देश के ‘सबसे स्वच्छ शहर’ के रूप में पहचान बना चुके इंदौर में नगर निगम की जलापूर्ति से जुड़ा एक गंभीर जनस्वास्थ्य संकट सामने आया है। शहर के भगिरथपुरा इलाके में कथित तौर पर दूषित पानी पीने से कम से कम आठ लोगों की मौत हो गई है, जबकि 100 से अधिक लोग बीमार पड़ गए हैं। प्रभावितों में उल्टी, दस्त और डिहाइड्रेशन जैसे लक्षण पाए गए हैं। घटना के बाद प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड पर हैं, वहीं स्थानीय लोग लापरवाही के आरोप लगा रहे हैं।
अधिकारियों के अनुसार, नर्मदा नदी का पानी लाने वाली नगर निगम की पाइपलाइन से सप्लाई किए गए पानी में गड़बड़ी की शिकायतें 25 दिसंबर को सामने आईं, जब निवासियों ने पानी में असामान्य गंध और स्वाद की बात कही। इसके बाद इलाके में बड़ी संख्या में लोग बीमार पड़ने लगे। स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि बीते कुछ दिनों में कम से कम तीन लोगों की मौत हुई है और 100 से ज्यादा मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
हालांकि, स्थानीय निवासियों, पड़ोसियों और सामुदायिक प्रतिनिधियों का दावा इससे कहीं अधिक गंभीर है। उनके मुताबिक, मृतकों की संख्या पांच से अधिक है और बीमार पड़ने वालों की संख्या 1,000 से ऊपर पहुंच चुकी है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि ड्रेनेज या सीवेज का पानी मुख्य जलापूर्ति लाइन में मिल गया, जिससे यह प्रकोप फैला। उनका कहना है कि समय रहते शिकायतों पर ध्यान नहीं दिया गया।
नगर निगम अधिकारियों ने स्वीकार किया है कि मुख्य जलापूर्ति पाइपलाइन में लीकेज पाया गया है। यह लीकेज एक शौचालय निर्माण स्थल के पास बताया जा रहा है, जहां से दूषित पानी पीने के पानी की लाइन में घुसने की आशंका है। मरम्मत के लिए टीमें मौके पर भेज दी गई हैं और जलापूर्ति को वैकल्पिक व्यवस्था से संचालित किया जा रहा है। साथ ही, पानी के नमूने प्रयोगशाला जांच के लिए भेजे गए हैं, ताकि दूषण के सटीक कारण का पता लगाया जा सके।
इंदौर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. माधव प्रसाद हसानी के अनुसार, स्वास्थ्यकर्मियों ने इलाके में हजारों घरों का सर्वे किया है। हल्के लक्षण वाले मरीजों को प्राथमिक उपचार दिया गया है, जबकि गंभीर मामलों का अस्पतालों में इलाज जारी है। स्वास्थ्य विभाग ने प्रभावित क्षेत्रों में मेडिकल कैंप लगाए हैं और लोगों को उबालकर पानी पीने की सलाह दी गई है।
इस घटना के बाद राजनीतिक बयानबाजी भी तेज हो गई है। विपक्षी दलों ने नगर निगम के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या (कपलपेबल होमिसाइड) की एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। उनका कहना है कि केवल पाइपलाइन लीकेज से इतनी बड़ी संख्या में मौतें और बीमारियां होना गंभीर प्रशासनिक लापरवाही की ओर इशारा करता है और पूरे मामले की गहन जांच होनी चाहिए।
वहीं, राज्य सरकार ने मृतकों के परिजनों को आर्थिक सहायता देने और प्रभावित मरीजों के इलाज का पूरा खर्च वहन करने का आश्वासन दिया है। प्रशासन का कहना है कि जांच रिपोर्ट आने के बाद जिम्मेदारी तय की जाएगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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