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Friday, December 5, 2025
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भारत नौसेना में जल्द शामिल करेगा स्वदेशी निर्मीत INS अरिधमन

तीसरी स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी आयोगन के करीब

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भारत अपनी सामरिक समुद्री क्षमता को एक और अहम बढ़त देने की तैयारी में है। नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी ने पुष्टि की है कि तीसरी स्वदेशी परमाणु-संचालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी INS अरिधमन अंतिम परीक्षण चरण में पहुँच चुकी है और जल्द ही भारतीय नौसेना में शामिल की जाएगी।

अगस्त में INS अरिघाट को रणनीतिक बल कमान (SFC) के तहत औपचारिक रूप से कमीशन किया गया था, जिससे भारत का समुद्र-आधारित निवारक और मजबूत हुआ है।

INS अरिधमन के शामिल होते ही भारत पहली बार तीन परिचालन SSBNs (बैलिस्टिक मिसाइल ले जाने वाली परमाणु पनडुब्बियाँ) के साथ समुद्र में मौजूद होगा। अरिहंत और अरिंघात की तुलना में अरिधमन बड़े आकार का है, जिसके कारण यह अधिक लंबी दूरी की परमाणु क्षमता वाली K-4 मिसाइलें ले जा सकता है। इसका मतलब है कि भारत की सेकंड-स्ट्राइक क्षमता और भी गहराई और दूरगामी प्रभाव हासिल करेगी, जो सामरिक सिद्धांत का केंद्रीय आधार है। इसी श्रृंखला की चौथी SSBN भी निर्माणाधीन है, जिससे आने वाले वर्षों में भारत की समुद्री परमाणु क्षमता और विस्तृत होने की संभावना है।

एडमिरल त्रिपाठी ने पिछले एक वर्ष में नौसेना की कई पहली पहलों का भी ज़िक्र किया। उन्होंने बताया कि “इंडियन ओशन शिप सागर” एक अनूठी पहल थी, जिसके तहत INS सुनयना ने भारतीय महासागर क्षेत्र के नौ देशों के 44 नाविकों के साथ एक महीने लंबा समुद्री मिशन किया। पांच देशों के बंदरगाहों पर पहुँची इस यात्रा को व्यापक सराहना मिली। इसके अलावा नौसेना ने “अफ्रीका-इंडिया की मैरीटाइम एंगेजमेंट (AIKME)” के तहत तंजानिया में नौ अफ्रीकी देशों के साथ संयुक्त गतिविधियाँ कीं, जहाँ रक्षा मंत्रियों की उपस्थिति में सामरिक सहयोग और साझा अनुभवों का आदान–प्रदान हुआ।

नौसेना प्रमुख ने बताया कि पहले चार राफेल-M लड़ाकू विमान 2029 तक नौसेना को मिलने की उम्मीद है। इसके साथ ही प्रोजेक्ट 75-इंडिया, जिसके तहत छह नई उन्नत पनडुब्बियाँ खरीदी जानी हैं, भी अंतिम चरण में पहुंच चुका है और जल्द ही समझौता होने की संभावना है।

ऑपरेशन सिंदूर पर बोलते हुए एडमिरल त्रिपाठी ने कहा कि नौसेना की दृढ़ तैनाती ने पाकिस्तान नौसेना को उनके बंदरगाहों तक सीमित रहने पर मजबूर कर दिया। उनके शब्दों में, “हमारे कैरियर बैटल ग्रुप की तैनाती ने पाकिस्तान नौसेना को मकरान तट और अपने पोर्ट्स से बाहर निकलने की हिम्मत नहीं दी।”

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