शुक्रवार (16 अगस्त) सुबह 9:30 को भारत की अंतरिक्ष एजेंसी ISRO द्वारा SSLV-D3 का सतीश धवन स्पेस सेंटर श्रीहरी कोटा से सफलता पूर्वक प्रक्षेपण किया गया। इसी रॉकेट के जरिए ISRO ने नया अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटलाइट EOS-8, और पैसेंजर सैटलाइट ER-0 DEMOSAT को भी प्रक्षेपित किया। इन दोनों सैटलाइट्स को धरती से 475km की ऊंचाई पर छोड़ा गया है। इस मिशन की आयु केवल 1 वर्ष की होगी।
इस सफलतापूर्वक प्रक्षेपण के बाद लोगों ने ISRO के नए रॉकेट बनाने वाली टीम को बधाइयां दी है। ISRO के प्रमुख डॉ. एस सोमनाथन ने टीमों का आभार प्रकट करते हुए लाँच के सफल होने की बात की है। सैटलाइट के पृथ्वी के निचली ऑर्बिट में पहुंचते के बाद डॉ. एस सोमनाथं ने विश्वास जताया, की इस तीसरे डेमोस्ट्रेशन के उपरांत हम इसे तैयार है कह सकते है।
डॉ. स्वामीनाथन का मानना है की उन्हें नयी सैटलाइट पर काफी विश्वास है, इसके सफल डेमोस्ट्रेशन से इसकी टेक्निकल जानकारी को ISRO इंडस्ट्री के साथ साझा करने के लिए तैयार है, हम चाहते है की ज्यादा संख्या में SSLV के रॉकेट बन से जिससे पृथ्वी की निचली कक्षा में अधिक से अधिक कम भार के सैटेलाइट्स को प्रक्षेपित किया जा सके।
नए रॉकेट की क्या है खूबियां:
- SSLV, अर्थात स्माल सैटलाइट लांच वेहिकल और उसका यह तीसरा डेमोंस्ट्रेशन था इसीलिए (D3), इसिलिए आज के रॉकेट का नाम SSLV-D3 सखा गया।
- SSLV की लंबाई 34 मीटर और व्यास 2 मीटर है, इसका वजन 120 टन बताया गया है।
- इस रॉकेट की क्षमता के हिसाब से 300kg तक भर सूर्य समकालीन कक्षा अर्थात सन सिंक्रोनस ऑर्बिट में भेजा जा सकता है साथ ही 500 kg की सैटलाइट्स को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजने की सलाहीयत SSLV में है।
- ISRO के अनुसार, SSLV मात्र 72 घंटे में उड़ान भरने के लिए तैयार हो जाता है, जो इसे छोटे प्रक्षेपण (10 से 500 kg) के लिए डिमांडिंग बनता है।
- यह रॉकेट PSLV से 6 गुना सस्ता है।
अपने तीसरे सफल डेमोंस्ट्रेशन के बाद SSLV को ऑपरेशनल रॉकेट का दर्जा मिला है। इससे पहले SSLV ने 7 अगस्त 2022 को अपनी पहली उड़ान भरी थी, वहीं 10 फरवरी 2023 को इसने दूसरी उड़ान भर EOS-07, Janus-1, और AzaadiSAT-2 का प्रक्षेपण किया था।
बता दें, की ISRO ने PSLV अर्थात पोलर सैटेलाइट लांच वेहिकल छह गुना सस्ते इस रॉकेट को भारतीय स्पेस इंडस्ट्री के साथ साझा करने की बात की है। साथ ही काम भार की विशेष सैटलाइट्स को निचली कक्षा में अधिक से अधिक प्रक्षेपित करवाना ISRO का लक्ष्य भारत के भविष्य में कम्युनिकेशन इंफ्रास्ट्रक्चर में आनेवाली क्रांति की और इशारा करता है।
रॉकेट्स की लागत में काम होते खर्चे और तैय्यारी में कम होता समय इशारा करता है की फ़िलहाल ISRO इलोन मस्क के स्पेसएक्स से कंपीट करने की कोशिश में लगा हुआ है, जिससे की टेस्ला से बेहतर और अधिक कम्युनिकेशन सैटलाइट्स ऑर्बिट में भेज सके।
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