कारूलकर प्रतिष्ठान: जन्नत की आरजू ना रही इंसान को खुदा होते देखा है…

समाजसेवा तो दिल से होती है-प्रशांत कारूलकर

कारूलकर प्रतिष्ठान: जन्नत की आरजू ना रही इंसान को खुदा होते देखा है…

मुंबई। ऐसी दुनिया जहां सड़क पर तड़पते घायल को देख लोग आगे बढ़ जाते हैं वे दर्द राहों पर दम तोड़ दे कमजोर मजलूम के लिए जहां किसी के दिल में कोई जगह नहीं ऐसी बेदर्दी दुनिया में इंसान को खुदा होते देखा है। जी हां इस संकट के दौर में कारूलकर प्रतिष्ठान ऐसा कार्य कर रहा है। कोरोना काल लाकडाउन में विविध समस्याओं से परेशानियों का सामना कर रहे मुंबईकर हों या सड़कों पर गांव जा रहे बेशहारा मजदूर। उनके दुख में शामिल होकर उनकी मदद कर उनके आंसुओं को पोछने का काम इन दिनों मुंबई बोरीवली की सेवाभावी संस्था कारूलकर प्रतिष्ठान कर रही है।

कारूलकर प्रतिष्ठान को लोगों ने खूब सराहा

जबसे कोरोना जैसी भयंकर बीमारी मुंबई सहित देश भर में आई है, तबसे कारूलकर प्रतिष्ठान लोगों की सेवा में लगा है। जैसे ही कारूलकर प्रतिष्ठान को पता चला कि मुंबई के टीकाकरण सेंटरों पर लंबी-लंबी कतारें लग रही हैं। लोग चिलचिलाती धूप में तप रहे हैं। वरिष्ठ नागरिक भी लाइनों में 3-3 घंटे से खड़े हैं सुविधाएं न होने से कई बुजुर्ग बेहोश होकर गिर पड़े। कारूलकर प्रतिष्ठान की टीम ने तुरंत जाकर भीड़भाड़ वाले उन सेंटरों पर लोगों को नींबू पानी, जीरा पानी, सॉफ्ट ड्रिंक, शीतल पेय नाश्ते में ताजा उपमा, पोहा आदि नाश्ता उपलब्ध कराया। कारूलकर प्रतिष्ठान को लोगों ने खूब सराहा।

जनता की सेवा में लगे पुलिस कर्मियों की मदद

प्रतिष्ठान के अध्यक्ष प्रशांत कारूलकर ने बताया कि कोरोना के दौर में लाक डाउन में अपनी भूख प्यास मारकर जनता की सेवा में लगे पुलिस कर्मियों की मदद के लिए हमारी टीम काम कर रही है। संकट के दौर से गुजर रहे पुलिस कर्मियों को पानी, ताजा नाश्ता, दवाइयां, पानी आदि व्यवस्था लगातार दी जा रही हैं। दहिसर, मीरा रोड, बोरीवली, समता नगर आदि इन क्षेत्रों के विभिन्न इलाकों के टोलनाकों और रास्तों पर नाकाबंदी के दौरान सड़कों पर खड़े पुलिसकर्मियों के लिए खाद्य पदार्थ पानी शीतपेय आदि की आपूर्ति की जा रही है। प्रतिष्ठान के स्वयंसेवक इस सेवा भावी काम को बखूबी अंजाम दे रहे हैं।

कारूलकर प्रतिष्ठान मुंबई-महाराष्ट्र के हर क्षेत्रों में सेवा का काम में लगा है

प्रतिष्ठान के अध्यक्ष प्रशांत कारूलकर ने बताया कि व्यक्ति को हमेशा आशावादी होना चाहिए। यदि किसी काम को करने का हमने दृढ़ निश्चय किया है तो हम धैर्य और दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर उस कार्य को सफलतापूर्वक करना चाहिए। सकारात्मक सोच सफलता की गारंटी देती है। मेरा मानना है कि जो व्यक्ति परिस्थितियों का डटकर मुकाबला करता है वही सबसे खुशी इनसान है। इसी मंत्र को लेकर आज कारूलकर प्रतिष्ठान की टीम मुंबई-महाराष्ट्र के हर क्षेत्रों में सेवा का काम कर रही है, जो हमारे लिए गौरव की बात है।

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