मुंबई। केंद्रीय मंत्री नारायण राणे की गिरफ्तारी, रिहाई और उसके पहले की उनके व सीएम उद्धव ठाकरे के बीच की समूची शाब्दिक जुगलबंदी को लेकर भाजपा नेता एवं विधायक अतुल भातखलकर ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की खिल्ली उड़ाते हुए तुलना पश्चिम बंगाल की ‘विचारशील-संयमित’ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से की है।
जन आशीर्वाद यात्रा से बौखलाई शिवसेना: उन्होंने सीएम ठाकरे पर करारा तंज कसते हुए कहा है कि पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जिस तरह चुनावों के दौरान बड़े पैमाने पर लोकतंत्र का दमन किया, भाजपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर, उनकी पिटाई, कई की हत्या किए जाने के साथ ही असंख्य भाजपा कार्यकर्ताओं के घरों में तोड़फोड़ की गई, आग लगा दी गई, महिलाओं से बलात्कार किया गया, बिलकुल उसी ढर्रे पर केंद्रीय मंत्री नारायण राणे की जन आशीर्वाद यात्रा के आरंभ से ही महाराष्ट्र में दमनचक्र शुरू हो गया है।
तैयार की राणे के खिलाफ पार्श्वभूमि: भातखलकर के अनुसार, जन आशीर्वाद यात्रा में केंद्रीय मंत्री नारायण राणे का महाराष्ट्र दौरा शुरू होते ही ठाकरे सरकार की सारी पोल खुलना जारी हो गया है, जिसका असर जगह-जगह बिखरती शिवसेना को देखकर साफ तौर पर लगाया जा सकता है। शिवसेना को राणे के नेतृत्व में महाराष्ट्र में जन आशीर्वाद यात्रा के असर का अंदाजा शायद पहले से था, तभी तो यात्रा की शुरुआत से ही शिवसेना ने उसकी आलोचना करना शुरू कर दिया। सत्ता के डंडे का दुरुपयोग करते हुए पहले तो उसने डराया-धमकाया कि कोरोना के प्रतिबंधों का पालन नहीं किया जा रहा है और यदि नियमों का पालन नहीं किया गया, तो जन आशीर्वाद यात्रा पर रोक लगानी होगी। लिहाजा, राणे की गिरफ्तारी की कार्रवाई के लिए पहले इस संबंध में सुनियोजित तरीके से पार्श्वभूमि तैयार की गई,नारायण राणे के खिलाफ विभिन्न जगहों पर मामले दर्ज कराए गए।
महाराष्ट्र में बिलकुल प. बंगाल जैसी अराजकता: MLA अतुल भातखलकर ने बताया है कि इस आग में घी तभी पड़ गया था, जब जन आशीर्वाद यात्रा के मुंबई में शुभारंभ के लिए पहुंचे नारायण राणे के शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरे के स्मारकस्थल के दौरे के दरमियान शिवसेना ने उन्हें स्मारक पर जाने की अनुमति न देने की चेतावनी दी थी। लेकिन यहां उनकी बिलकुल भी नहीं चली, जिससे खीझकर बाद में स्मारक का शुद्धिकरण किया गया। फिर इसके बाद से उद्धव -राणे में लगातार जुबानी जंग जारी रही और नतीजतन, नारायण राणे द्वारा मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ बयान के प्रकरण में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। इससे सवाल यह उठता है कि क्या महाराष्ट्र की स्थिति वैसी ही नहीं हो गई है, जैसी ममता ने पश्चिम बंगाल में की थी।
तैयार की राणे के खिलाफ पार्श्वभूमि: भातखलकर के अनुसार, जन आशीर्वाद यात्रा में केंद्रीय मंत्री नारायण राणे का महाराष्ट्र दौरा शुरू होते ही ठाकरे सरकार की सारी पोल खुलना जारी हो गया है, जिसका असर जगह-जगह बिखरती शिवसेना को देखकर साफ तौर पर लगाया जा सकता है। शिवसेना को राणे के नेतृत्व में महाराष्ट्र में जन आशीर्वाद यात्रा के असर का अंदाजा शायद पहले से था, तभी तो यात्रा की शुरुआत से ही शिवसेना ने उसकी आलोचना करना शुरू कर दिया। सत्ता के डंडे का दुरुपयोग करते हुए पहले तो उसने डराया-धमकाया कि कोरोना के प्रतिबंधों का पालन नहीं किया जा रहा है और यदि नियमों का पालन नहीं किया गया, तो जन आशीर्वाद यात्रा पर रोक लगानी होगी। लिहाजा, राणे की गिरफ्तारी की कार्रवाई के लिए पहले इस संबंध में सुनियोजित तरीके से पार्श्वभूमि तैयार की गई,नारायण राणे के खिलाफ विभिन्न जगहों पर मामले दर्ज कराए गए।
महाराष्ट्र में बिलकुल प. बंगाल जैसी अराजकता: MLA अतुल भातखलकर ने बताया है कि इस आग में घी तभी पड़ गया था, जब जन आशीर्वाद यात्रा के मुंबई में शुभारंभ के लिए पहुंचे नारायण राणे के शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरे के स्मारकस्थल के दौरे के दरमियान शिवसेना ने उन्हें स्मारक पर जाने की अनुमति न देने की चेतावनी दी थी। लेकिन यहां उनकी बिलकुल भी नहीं चली, जिससे खीझकर बाद में स्मारक का शुद्धिकरण किया गया। फिर इसके बाद से उद्धव -राणे में लगातार जुबानी जंग जारी रही और नतीजतन, नारायण राणे द्वारा मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ बयान के प्रकरण में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। इससे सवाल यह उठता है कि क्या महाराष्ट्र की स्थिति वैसी ही नहीं हो गई है, जैसी ममता ने पश्चिम बंगाल में की थी।