मानवाधिकार आयोग महालक्ष्मी रेसकोर्स मामले की कैसे कर सकता है सुनवाई?  

महालक्ष्मी रेसकोर्स के पट्टे के नवीनीकरण की सुनवाई पर रोक लगाई     

मानवाधिकार आयोग महालक्ष्मी रेसकोर्स मामले की कैसे कर सकता है सुनवाई?   

High Court order: 'Review pending cases in the appointment of lawyers!

बांबे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र राज्य मानवाधिकार आयोग को मध्य मुंबई में 220 एकड़ में फैले महालक्ष्मी रेसकोर्स के पट्टे के नवीनीकरण से संबंधित एक मामले की सुनवाई करने से रोक दिया है। इसके साथ ही उच्च न्यायालय ने कहा कि “प्रथम दृष्टया वह यह गौर करने में असमर्थ” रहा कि आयोग इस तरह के मुद्दे पर स्वत: संज्ञान कैसे ले सकता है। न्यायमूर्ति गौतम पटेल और न्यायमूर्ति नीला गोखले की एक खंडपीठ ने आठ मार्च को यह आदेश पारित किया।

पीठ ने 17 फरवरी को पारित आदेश के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार के शहरी विकास विभाग के प्रधान सचिव द्वारा दायर याचिका पर यह आदेश दिया। आयोग ने एक आदेश में महालक्ष्मी रेसकोर्स के पट्टे के नवीनीकरण से जुड़े तथ्यों को पेश करने में विफल रहने पर राज्य के मुख्य सचिव, नगर निकाय बीएमसी के आयुक्त, शहरी विकास विभाग के प्रधान सचिव और अन्य पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया था।

उच्च न्यायालय की पीठ ने राज्य सरकार की याचिका के अंतिम निस्तारण तक आयोग के समक्ष मामले में आगे की जांच या सुनवाई पर रोक लगा दी। पीठ ने कहा, “हम प्रथम दृष्टया यह देखने में असमर्थ हैं कि इस तरह की कार्रवाई राज्य मानवाधिकार आयोग के समक्ष कैसे हो सकती है या इसे स्वत: कैसे शुरू किया जा सकता था। इसलिए, हम अंतरिम राहत दे रहे हैं।”

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