चिंताओं के बीच फिर खोले जाएंगे महाराष्ट्र के स्कूल, जल्द होगा निर्णय

महाराष्ट्र के स्कूली शिक्षा मंत्री बच्चू कडू ने दिए संकेत

चिंताओं के बीच फिर खोले जाएंगे महाराष्ट्र के स्कूल, जल्द होगा निर्णय

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मुंबई। महाराष्ट्र सरकार जल्द स्कूलों के खोलने पर फैसला ले सकती है। हालांकि सरकार की कुछ चिंताएं भी है। बच्चों की टास्क फ़ोर्स ने टीचिंग और नॉन टीचिंग कर्मचारियों का टीकाकरण पर जोर दिया है। इसके बावजूद इसके राज्य सरकार स्कूल खोलने पर एक -दो दिन में निर्णय ले सकती है। महाराष्ट्र के स्कूली शिक्षा मंत्री बच्चू कडू ने गुरुवार को बताया कि राज्य के स्कूलों को खोलने के लिए एक-दो दिन में बैठक होगी जिसमें इस पर निर्णय लिया जायेगा। कडू ने यह भी कहा देश के अन्य राज्यों में स्कूल खोल दिए गए हैं। तो राज्य के स्कूल भी शुरू होने चाहिए। उन्होंने कोरोना के बढ़ते मामले पर भी चिंता जाहिर की और कहा कि केरल के बाद सबसे अधिक कोरोना के केस महाराष्ट्र में है ,इस पर भी ध्यान देना होगा।
टास्क फोर्स ने योजना पर की चर्चा : मार्च 2020 में  कोरोना महामारी के आने के बाद से महाराष्ट्र में स्कूलों में शारीरिक कक्षाएं बंद कर दी गईं थीं। ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में 12 जुलाई से कक्षा 8 से 12 के छात्रों के लिए शारीरिक कक्षाएं फिर से शुरू करने की अनुमति दी गई थी, लेकिन केवल उन क्षेत्रों में जहां कोविड -19 मामले न्यूनतम हैं। बच्चों की टास्क फोर्स ने राज्य के स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ राज्य में स्कूलों को फिर से खोलने की योजना पर चर्चा की है और वे सुनिश्चित करना चाहता है कि स्कूल पूरी तरह से इसके तैयार हों और शारीरिक कक्षाएं कोविड -19 मामलों में वृद्धि न करें।
हो सकता है यह प्लान: बाल चिकित्सा कार्य बल के सदस्य डॉ बकुल पारेख ने कहा, “हम यह भी चाहते हैं कि स्कूलों को फिर से खोल दिया जाए लेकिन कुछ सावधानियों के साथ क्योंकि हम उनके स्वास्थ्य के बारे में चिंतित हैं। बच्चे निश्चित रूप से मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों और पोषण से पीड़ित हैं और इसलिए स्कूलों को फिर से खोला जाना चाहिए, लेकिन हमें सुनिश्चित करता होगा कि स्कूल का वातावरण सुरक्षित हो।” टास्क फोर्स के मुताबिक स्कूल के पूरे स्टाफ को वैक्सीन लगी होनी चाहिए। बैठने के लिए अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए, एक बेंच एक बच्चे के लिए ही रहे। स्कूल को अच्छे तरह से सैनेटाइज करते रहने की जरूरत होगी और स्कूल को किसी भी मेडिकल एमरजेंसी के तैयार रहना होगा। पारेख ने कहा है कि स्कूलों को छात्रों को दो बैचों में विभाजित करना चाहिए और उन्हें वैकल्पिक दिनों में शारीरिक कक्षाओं के लिए बुलाया जाना चाहिए।
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