मुंबई। जिस जिला परिषद उप चुनाव को लेकर महाराष्ट्र की राजनीति गरमाई थी,उसे स्थगित कर दिया है। आखिरकार राज्य चुनाव आयोग मान गया और कोरोना संकट के नाम पर ही सही 19 जुलाई को होने वाला मतदान फिलहाल के लिए टाल दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्थानीय निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण खत्म होने के बाद बगैर ओबीसी आरक्षण के ये चुनाव होने थे। राज्य चुनाव आयुक्त यूपीएस मदान ने कहा कि धुले, नंदुरबार, अकोला, वाशिम और नागपुर जिला परिषदों में 70 चुनाव विभाग और 33 पंचायत समितियों के उपचुनाव के लिए 19 जुलाई को मतदान होना था, लेकिन 7 जुलाई को राज्य सरकार ने कोविड-19 की पृष्ठभूमि के चलते उपचुनाव स्थगित करने का अनुरोध राज्य चुनाव आयोग से किया था। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के 6 जुलाई के आदेश और राज्य सरकार के अनुरोध को ध्यान में रखते हुए राज्य चुनाव आयोग ने शासन से कोविड-19 के बारे में अधिक जानकारी और जिला कलेक्टरों से रिपोर्ट मांगी थी। इस आधार पर आयोग ने चुनाव जिस चरण में है, उसी चरण में स्थगित कर दिए। इस वजह से उपचुनाव के लिए लागू आचार संहिता अब शिथिल हो गई है। मदान ने कहा कि कोविड की स्थिति में सुधार होने पर उपचुनाव के बाकी के चरण पूरे होंगे और इस बारे में राज्य चुनाव आयोग की तरफ से घोषणा की जाएगी।
इसलिए हो रहे थे चुनाव
भाजपा-शिवसेना सरकार ने 2019 में स्थानीय निकायों में ओबीसी को राजनीतिक आरक्षण दिया था। इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। चूंकि आरक्षण का कोटा 50 फीसदी से अधिक हो रहा था, ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने स्थानीय निकायों में ओबीसी के राजनीतिक आरक्षण को रद्द कर दिया। इसके बाद महाराष्ट्र राज्य चुनाव आयोग ने पांच जिला परिषदों और 33 पंचायत समितियों की सीटों के लिए उपचुनाव कराने का फैसला किया था। ये सीटें पहले ओबीसी के लिए आरक्षित थीं, लेकिन उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद इन्हें रिक्त और सामान्य श्रेणी में परिवर्तित कर दिया गया। महाराष्ट्र सरकार की तरफ से पंचायत समितियों के चुनाव को स्थगित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इस पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उपचुनाव कराने का फैसला दिया था, लेकिन कोरोना काल में किस तरह से चुनाव कराए जाएंगे, यह तय करने का अधिकार चुनाव आयोग को दिया था।