इस मामले पर राज्य सरकार की ओर से दायर क्यूरेटिव पिटीशन पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई| मुख्य न्यायाधीश धनंजय चंद्रचूड़ की पीठ के समक्ष चैंबर में सुनवाई हुई|आज की सुनवाई में राज्य सरकार ने अपना पक्ष रखा है| अब इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट जल्द ही अपना फैसला सुना सकता है|मराठा आरक्षण का भविष्य सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निर्भर करेगा|सुप्रीम कोर्ट तीन तरह से अपना फैसला सुना सकता है|
पहली संभावना क्या है?: मराठा आरक्षण सुधारात्मक याचिका पर तीन संभावित नतीजे हैं।पहली संभावना तो यह है कि क्यूरेटिव पिटीशन खारिज हो सकती है|अगर ऐसा हुआ तो कोर्ट से मराठा आरक्षण मिलने की संभावना खत्म हो जायेगी और संसद पर निर्भर रहना पड़ेगा|
दूसरी संभावना क्या है?: सुप्रीम कोर्ट क्यूरेटिव पिटीशन में नोटिस जारी कर सकता है। इसका मतलब है कि मामले में प्रतिवादी जयश्री पाटिल ने मराठा आरक्षण को लेकर ऐसी याचिका दायर की है,सुप्रीम कोर्ट आपको इस पर रुख अपनाने का निर्देश दे सकता है।
तीसरी संभावना क्या है?: इस मामले में तीसरी संभावना यह है कि कोर्ट यह कहकर सुनवाई की तारीख दे सकता है कि इसकी सुनवाई खुली अदालत में होगी|मराठा आरक्षण के याचिकाकर्ता विनोद पाटिल ने आज ऐसी मांग की है|अगर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए तत्परता दिखाए तो गतिरोध कुछ हद तक टूट सकता है|हालांकि, याचिका खारिज होने पर दुविधा की आशंका है|
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से क्या होगा?: अगर सुप्रीम कोर्ट मराठा आरक्षण पर सुनवाई के लिए नोटिस जारी करता है या खुली अदालत में सुनवाई का फैसला करता है, तो यह सरकार के लिए भी अच्छी खबर होगी।
क्यूरेटिव पिटीशन खारिज हुई तो क्या होगा?: सुप्रीम कोर्ट से क्यूरेटिव पिटीशन खारिज होने पर राज्य सरकार की मुश्किल बढ़ सकती है| पिछड़ा वर्ग आयोग की संशोधित रिपोर्ट पेश करनी पड़ सकती है| मराठा आरक्षण फिर से शुरू करना पड़ सकता है| दूसरी ओर, मराठा आरक्षण आंदोलनकारियों के आक्रामक होने की संभावना है|
खुली सुनवाई तो क्या?: मराठा आरक्षण याचिका पर खुली अदालत में सुनवाई में वक्त लग सकता है|इससे सरकार की उम्मीदें बढ़ेंगी|सरकार से तात्कालिक राहत मिलेगी।नया कानून बनाते समय सरकार यह कह सकती है कि मामला अदालत में विचाराधीन है।यह कहने से कि मामला अदालत में लंबित है, गुस्सा कुछ हद तक कम हो जाएगा|
अगर नोटिस दिया गया तो क्या होगा?: यदि इस मामले में प्रतिवादी जयश्री पाटिल को नोटिस दिया जाता है, तो वह सबसे पहले जवाब देंगे। अगली सुनवाई में सरकार अपना पक्ष रखेगी|इसमें काफी समय लगने की संभावना है|
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