सुप्रीम कोर्ट ने दुकानों एवं प्रतिष्ठानों द्वारा मराठी (देवनागरी लिपि) भाषा में अपना साइन बोर्ड पर लिखने की अनिवार्यता संबंधी बांबे हाईकोर्ट फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर महाराष्ट्र एवं अन्य से शुक्रवार को जवाब मांगा। हाईकोर्ट ने दुकानों एवं प्रतिष्ठानों के लिए मराठी भाषा में अपना नाम प्रदर्शित करने की अनिवार्यता से जुड़े राज्य सरकार के आदेश को खारिज करने के इनकार कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के एम जोसेफ और न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय की पीठ ने महाराष्ट्र सरकार, मुंबई नगर निगम, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना और अन्य को उच्च न्यायालय के 23 फरवरी, 2022 के आदेश को चुनौती देने वाली ‘फेडरेशन ऑफ रिटेल ट्रेडर्स वेलफेयर एसोसिएशन’ की याचिका पर नोटिस जारी किए। उच्च न्यायालय ने ‘फेडरेशन ऑफ रिटेल ट्रेडर्स वेलफेयर एसोसिएशन’ की याचिका खारिज कर दी थी और उस पर 25,000 रुपए जुर्माना भी लगाया था।
उसने कहा था कि साइन बोर्ड पर किसी अन्य भाषा का इस्तेमाल करने पर पाबंदी नहीं है और केवल मराठी में नाम लिखने को अनिवार्य बनाया गया है। याचिका में महाराष्ट्र दुकान एवं प्रतिष्ठान (रोजगार नियमन एवं सेवा शर्त) कानून, 2017 में संशोधन को चुनौती दी गई थी, जिसके तहत सभी दुकानों एवं प्रतिष्ठानों को अपने साइन बोर्ड पर मराठी में नाम लिखना होगा और उसका आकार अन्य लिपियों में लिखे नाम से छोटा नहीं होना चाहिए। अदालत ने कहा था कि यह नियम मुख्य रूप से महाराष्ट्र के उन लोगों की सुविधा के लिए है, जिनकी मातृभाषा मराठी है।
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