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Sunday, December 7, 2025
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थकान, अनिद्रा और तनाव से राहत दिलाने वाला औषधीय पौधा: द्रोणपुष्पी

द्रोणपुष्पी का काढ़ा सामान्य बुखार, मलेरिया या टाइफाइड में बेहद प्रभावी होता है। इसके पत्तों का रस शरीर पर लगाने से जलन और गर्मी में ठंडक मिलती है।

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हमारे आसपास मौजूद कई जड़ी-बूटियों और पौधों में औषधीय गुण छिपे होते हैं, जिन्हें हम अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं। ऐसा ही एक चमत्कारी पौधा है द्रोणपुष्पी, जिसे आम भाषा में ‘गुमा’ भी कहा जाता है। इसकी खासियत यह है कि इसका हर हिस्सा—पत्ते, फूल, जड़ और तना—किसी न किसी रोग के इलाज में काम आता है। आयुर्वेद में द्रोणपुष्पी को अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है, और यह थकान, तनाव और नींद न आने जैसी समस्याओं के लिए एक कारगर उपाय है।

अमेरिकी नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार, इसका वानस्पतिक नाम Leucas aspera है। इसमें ट्राइटरपेनोइड्स नामक यौगिक होते हैं, जिनमें ओलेनोलीक एसिड, यर्सोलिक एसिड और बीटा-सिटोस्टेरोल शामिल हैं। इसके ऊपरी भागों में निकोटिन, स्टेरोल्स और अल्कालॉइड्स जैसे तत्व भी पाए जाते हैं। इसके बीजों में फैटी एसिड्स जैसे पाल्मिटिक, स्टीयरिक, ओलेइक और लिनोलेइक एसिड होते हैं, और तेल में बीटा-सिटोस्टेरोल के साथ सेरिल अल्कोहल भी होता है। जड़ों और तनों में ल्यूकोलेक्टोन पाया जाता है, जो इसे और भी प्रभावी बनाता है।

द्रोणपुष्पी का काढ़ा सामान्य बुखार, मलेरिया या टाइफाइड में बेहद प्रभावी होता है। इसके पत्तों का रस शरीर पर लगाने से जलन और गर्मी में ठंडक मिलती है। अपच, गैस, दस्त और भूख न लगने जैसी समस्याओं में इसकी सब्जी या काढ़ा सेवन करने से पाचन तंत्र मजबूत होता है।

जोड़ों के दर्द और सूजन में इसके काढ़े या पत्तों के लेप से राहत मिलती है। दाद, खुजली और घाव जैसी त्वचा बीमारियों में इसके रस का प्रयोग एंटीसेप्टिक की तरह किया जा सकता है। खांसी और सांस की दिक्कतों में इसके रस को शहद और अदरक के साथ लेना लाभदायक होता है।

पीलिया और लिवर से जुड़ी बीमारियों में द्रोणपुष्पी की जड़ को पिप्पली के साथ लेने से लिवर मजबूत होता है। आंखों की बीमारियों में इसके पत्तों का रस आंखों में डालना या काजल की तरह लगाना लाभकारी होता है। अनिद्रा की स्थिति में इसके बीजों का काढ़ा पीना बहुत असरदार है।

यह पौधा मधुमेह, मिर्गी और एनीमिया जैसी बीमारियों में भी फायदेमंद है। यह शरीर को अंदर से साफ करता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। हालांकि इसके इस्तेमाल से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लेना जरूरी है, क्योंकि अधिक मात्रा में इसका सेवन पेट में जलन या एलर्जी पैदा कर सकता है। गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इसका सेवन विशेष सावधानी से करना चाहिए।

सस्ती, सरल और सहजता से मिलने वाली द्रोणपुष्पी न केवल एक औषधीय पौधा है बल्कि जीवनशैली संबंधी समस्याओं के लिए एक प्राकृतिक समाधान भी है। यदि सही मात्रा और दिशा में प्रयोग किया जाए, तो यह पौधा थकान, तनाव और अनिद्रा जैसे कई रोगों में राहत पहुंचा सकता है।

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