उत्तर भारत में मानसून ने भारी तबाही मचाई है। हिमाचल प्रदेश में फ्लैश फ्लड, क्लाउडबर्स्ट और भूस्खलन के चलते अब तक 78 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि दर्जनों घायल और कई लापता हैं। 20 जून से शुरू हुई बारिश ने पूरे राज्य को हिला कर रख दिया है। राज्य में 23 फ्लैश फ्लड, 19 क्लाउड बर्स्ट और 16 भूस्खलन की घटनाएं दर्ज की गई हैं।
हिमाचल के मंडी जिले की स्थिति सबसे गंभीर है, जहां हिमाचल को-ऑपरेटिव बैंक की पहली मंज़िल तक पानी और मलबा भर गया है। स्थानीय लोगों ने बताया कि उनके कीमती दस्तावेज़, नकदी और सामान बह गए हैं। कई इलाकों में लूटपाट की घटनाएं भी सामने आई हैं, जहां लोग बहे हुए सामान को लूटने की कोशिश कर रहे हैं।
🌧️ The spell of heavy monsoon rain continues in Himachal Pradesh.
In the last 24 hrs, Aghar (Hamirpur) recorded the highest rainfall at 110 mm.
Cloudbursts in Mandi and Chamba have disrupted normal life.
⚠️ IMD issues warning for heavy rain & flash floods in 10 districts over… pic.twitter.com/rqA9NaBPio
— All India Radio News (@airnewsalerts) July 6, 2025
वहीं, राज्य के बुनियादी ढांचे पर भी मानसून ने गहरी चोट पहुंचाई है। अब तक 243 सड़कें बंद, 278 बिजली ट्रांसफॉर्मर ठप और 261 जलापूर्ति योजनाएं बाधित हो चुकी हैं। मौसम विभाग ने आगामी तीन दिनों तक भारी बारिश और तेज़ आंधी की चेतावनी जारी की है। सिरमौर, कांगड़ा और मंडी जिलों के लिए रेड अलर्ट जारी किया गया है।
उत्तराखंड में भी हालात चिंताजनक होते जा रहे हैं। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (GSI) ने टिहरी, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग और चमोली जिलों में भूस्खलन की चेतावनी जारी की है। 7 और 8 जुलाई को उखीमठ, घंसाली, नरेंद्र नगर और चिन्यालीसौड़ जैसे क्षेत्रों को अत्यधिक जोखिम वाला घोषित किया गया है।
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र (SEOC) ने सभी अधिकारियों, पुलिस बल और आपदा प्रबंधन टीमों को हाई अलर्ट पर रहने और पूरी तैयारी के साथ तैनात रहने के निर्देश दिए हैं। हिमालयी क्षेत्रों में पर्यटकों और वाहनों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया गया है। साथ ही सभी ज़िला अधिकारी अपने-अपने क्षेत्रों में 48 घंटे तक मोबाइल और वायरलेस उपकरणों के साथ सक्रिय रहने को कहा गया है।
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उत्तर भारत में मानसून का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। हिमाचल और उत्तराखंड दोनों राज्यों में हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं। जान-माल के नुकसान के साथ-साथ अब भूस्खलन का खतरा भी गहरा रहा है। अधिकारियों और राहत दलों के लिए यह आने वाले 48 घंटे बेहद चुनौतीपूर्ण साबित होने वाले हैं। आम जनता से अपील की गई है कि वह सतर्क रहें और किसी भी आपात स्थिति में स्थानीय प्रशासन से संपर्क करें।



