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Friday, December 12, 2025
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मुंबई भाजपा अध्यक्ष ने अयोध्या राम मंदिर की प्रतिकृति के लिए लगाई 51 लाख की बोली

Ayodhya Ram temple,Mangalprabhat Lodha

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मुंबई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को प्रदान किए गए प्रतिष्ठित और यादगार उपहारों की ई-नीलामी का तीसरा संस्करण 17 सितंबर से 7 अक्टूबर, 2021 तक वेब पोर्टल https://pmmementos.gov.in. के माध्यम से आयोजित किया जा रहा है। स्मृति चिन्ह में टोक्यो 2020 पैरालंपिक खेलों और टोक्यो 2020 ओलंपिक खेलों के विजेताओं द्वारा प्रधानमंत्री को उपहार में दिए गए स्पोर्ट्स गियर और उपकरण शामिल हैं। अन्य दिलचस्प कलाकृतियों में अयोध्या राम मंदिर की प्रतिकृति, चारधाम, रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर, मॉडल, मूर्तियां, पेंटिंग और अंगवस्त्र शामिल हैं। ई-नीलामी के इस चरण में, लगभग 1330 स्मृति चिन्हों की ई-नीलामी की जा रही है।

इस नेक अभियान में अपनी सहभागिता निभाते हुए मुंबई भाजपा अध्यक्ष व विधायक मंगलप्रभात लोढ़ा ने अयोध्या राम मंदिर की प्रतिकृति के लिए 51 लाख रूपये की बोली लगाई है। जो अभी तक इसके लिए सर्वाधिक बोली है। अयोध्या राम मंदिर की यह प्रतिकृति लकड़ी की बनी है जिसका लंबाई- 68 (सेमी), चौड़ाई – 52 (सेमी), ऊंचाई – 53 (सेमी), वजन – 23 (किलो) है। मुंबई भाजपा अध्यक्ष व विधायक मंगलप्रभात लोढ़ा ने बतलाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ई-नीलामी के माध्यम से हम सभी को देश की सेवा में अपना योगदान करने का एक और अवसर प्रदान किया है, इसके लिए हम उन्हें धन्यवाद करते है।  विश्वगुरू की ओर बढ़ते भारत के युगपुरूष  नरेन्द्र मोदी को मिला यह भेंट हमारे घर में आना यह एक ऐतिहासिक धरोहर बन जाएगी। साथ ही भारत की आर्थिक राजधानी उनके पीछे खड़ी है, यह संदेश विश्व भर में जाए।

ई-नीलामी से प्राप्त सारी राशि गंगा नदी के संरक्षण और कायाकल्प के उद्देश्य से नमामि गंगे अभियान को प्रदान की जाएगी। मोदी भारत के पहले प्रधान मंत्री हैं, जिन्होंने “नमामि गंगे” के माध्यम से देश की जीवन रेखा- गंगा नदी के संरक्षण के नेक काम के लिए मिलने वाले सभी उपहारों को नीलाम करने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री ने अक्सर गंगा को देश की सांस्कृतिक गौरव और आस्था के प्रतीक के रूप में वर्णित किया है। प्रधानमन्त्री ने ज्यादातर अवसरों पर गंगा को देश के सांस्कृतिक गौरव और आस्था के प्रतीक के रूप में वर्णित किया है और उत्तराखंड के गोमुख के उद्गम स्थल से लेकर पश्चिम बंगाल में समुद्र विलय होने तक, गंगा नदी को देश की आधी आबादी के जीवन की समृद्धि का आधार बताया है।

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