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Friday, September 20, 2024
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अब कुपोषण से कोई मरा तो करेंगे सख्त कार्रवाई,HC की ठाकरे सरकार को चेतावनी

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मुंबई। महाराष्ट्र के आदिवासी इलाकों में कुपोषण से हो रही बच्चों की मौतों पर बांबे हाईकोर्ट ने सख्त नाराजगी जताई है। अदालत ने राज्य सरकार को चेतावनी दी है कि अब यदि कुपोषण से एक भी मौत हुई तो राज्य सरकार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार से भी पूछा है कि कुपोषण से निपटने के लिए राज्य सरकार को कितनी निधि दी गई। कोर्ट ने सवाल किय़ा कि यदि कुपोषण से मौत को रोकने के लिए सरकार सही ढंग से काम करती तो एक साल में कुपोषण से 73 बच्चों की मौत हो जातीॽ

कोर्ट ने इस मामले को गंभीर विषय मानते हुए कहा कि सरकार हलफनामा दाखिल कर बताए कि आदिवासी इलाकों में अप्रैल 2020 से जुलाई 2021 के बीच कितने बच्चों की मौत कुपोषण से हुई है। कोर्ट ने हलफनामे में इस इलाके के लिए उपलब्ध कराए गए डाक्टरों व वहां पर स्थित स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या कितनी है। इसकी जानकारी भी हलफनामे में देने को कहा है। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी की खंडपीठ ने मेलघाट इलाके में कुपोषण के चलते बच्चों, गर्भवती महिलाओं की होनेवाली मौतों को लेकर डाक्टर राजेंद्र वर्मा की ओर से  दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकार को इस तरह की चेतावनी दी। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से खंडपीठ को बताया गया कि मेलघाट इलाके में पिछले एक साल में कुपोषण के चलते 73 बच्चों की मौत हुई है। जबकि सरकारी वकील नेहा भिडे ने खंडपीठ के सामने कहा कि कुपोषण से होनेवाली मौत को रोकने के लिए सरकार की ओर से प्रभावी कदम उठाए गए हैं।

इस पर खंडपीठ ने कहा कि यदि सरकारी मशीनरी इतनी मजबूत है और सरकार कुपोषण से मौत रोकने के लिए प्रभावी कदम उठा रही है तो एक साल में कुपोषण के चलते 73 बच्चों की मौत कैसे हुईॽ खंडपीठ ने मामले को लेकर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि यदि अगली सुनवाई के दौरान हमे पता चला की कुपोषण के चलते आदिवासी इलाकों में और मौत हुई है तो हम इसके लिए राज्य के सार्वजनिक स्वास्थय विभाग के सचिव को जिम्मेदार ठहराएगें। हम सार्वजनिक स्वास्थय विभाग को सचेत कर रहे हैं कि यदि अगली सुनवाई के दौरान कुपोषण से बच्चों की और मौत हुई तो हम इस मामले में न सिर्फ कड़ा रुख अपनाएगें बल्कि कड़ी कार्रवाई भी करेंगे।

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