मुंबई। अब कभी चुनाव न लड़ने का एलान करने वाले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शऱद पवार अपना वचन तोड़ते दिखाई दे रहे हैं। पवार अब पुस्कालय के चुनाव में उम्मीदवार हैं। उनका मुकाबला आम आदमी पार्टी (आप) के नेता से होगा। इस बीच आम आदमी पार्टी ने पवार पर अनियमितता करने का आरोप लगाया है। पवार मुंबई मराठी ग्रंथ संग्रहालय के अध्यक्ष पद चुनाव लड़ रहे हैं। इस चुनाव में उनके सामने हैं आम आदमी पार्टी के धनंजय शिंदे। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली भी मैदान में थे लेकिन उन्होंने अपना नामंकन वापस ले लिया है। जबकि 24 अक्टूबर को होने वाला है।
वहीं आम आदमी पार्टी ने अब आरोप लगाए है कि साल 1980 के दशक में जब पवार और डॉ भालचंद्र मुणगेकर संस्था के कामकाज में शामिल हुए हैं तब से नियम और प्रक्रियाएं ताक पर रख दी गईं हैं।
आप का आरोप है कि ग्रंथ संग्रहालय के कामकाज के लिए साल 1984 का स्वीकृत और 1989 का अस्वीकृत संविधान है। प्रबंधन 1989 के संविधान के मुताबिक काम करने का दावा करता है लेकिन इसके मुताबिक प्रबंध समिति का कार्यकाल सिर्फ 3 साल का होने के बावजूद वह पिछले 5 साल से ज्यादा समय से काम कर रही है। न्यासियों की नियुक्ति भी आम सभा की बैठक के बजाय गवर्निंग बॉडी की बैठक में की गई। आप का आरोप है कि सुप्रिया सुले, अनिल देसाई और प्रताप आसबे को शरद पवार की मर्जी के आधार पर ट्रस्टी नियुक्त किया गया। पवार ने तीनों की नियुक्ति को लेकर सुबह पत्र लिखा और शाम को उन्हें ट्रस्टी के रुप में नियुक्त कर दिया गया।
वहीं नामांकन वापस लेने वाले अनिल गलगली ने कहा कि संगठन के 6 हजार सदस्य हैं लेकिन सिर्फ 34 के पास मतदान का अधिकार है। गलगली के मुताबिक जानबूझकर सदस्यों के अधिकारों का हनन किया जा रहा है इसीलिए वे चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। बता दें कि मराठी ग्रंथ संग्रहालय 100 साल से ज्यादा पुरानी संस्था है और 6 हजार सदस्यों के साथ इसकी 27 शाखाएं हैं। डॉ बाबासाहेब आंबेडकर, न्यायमूर्ति रानाडे और लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक जैसी कई प्रमुख हस्तियां और स्वतंत्रता सेनानी इसके सदस्य रहे हैं।