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Thursday, December 11, 2025
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महाराष्ट्र के 20 जिलों में कायम रहेगा ओबीसी आरक्षण

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मुंबई। सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्थानीय निकायों में ओबीसी का राजनीतिक आरक्षण समाप्त करने से राजनीतिक दलों के लिए परेशानी पैदा हो गई है। इस समस्या के समाधान के लिए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार को सर्वदलिय बैठक बुलाई थी। बैठक में इस बात चर्चा हुई कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से प्रदेश के 20 जिलों में ओबीसी का राजनीतिक आरक्षण कायम रहेगा। जबकि 16 जिलों में ओबीसी आरक्षण घट अथवा बढ़ सकता है. पर राज्य सरकार ने तय किया है कि फिलहाल आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा के दायरे में रहकर ही स्थानीय निकायों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के राजनीतिक आरक्षण बहाली करने की कोशिश किया जाएगा।

स्थानीय निकाय चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के राजनीतिक आरक्षण बहाल होने तक चुनाव न कराने की मांग सभी दलों ने की। मुख्यमंत्री ने कहा कि ओबीसी के राजनीतिक आरक्षण बहाली के लिए सभी दल एकमत हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि बैठक में सभी दलों की ओर से दिए गए सुझावों और विकल्पों का अध्ययन किया जाएगा। इसके बाद अगले शुक्रवार को ओबीसी के राजनीतिक आरक्षण पर सर्वसहमति से फैसला लिया जाएगा। आरक्षण बहाली तक न हो स्थानीय निकाय चुनाव विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के कारण राज्य में ओबीसी का आरक्षण रद्द हो गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी के आरक्षण बहाली के लिए एम्पिरिकल डेटा उपलब्ध कराने की मांग की है। इसलिए हमने सरकार से राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के जरिए एम्पिरिकल डेटा जुटाने की मांग की है। फडणवीस ने कहा कि ओबीसी आरक्षण बहाल होने तक स्थानीय निकाय चुनाव आयोजित न करने की मांग की है। फडणवीस ने कहा कि 50 प्रतिशत आरक्षण के दायरे में रहकर अगर ओबीसी आरक्षण लागू किया गया तो राज्य के 20 जिलों में 27 से 35 प्रतिशत तक आरक्षण दिया जा सकता है। जबकि 10 जिलों में ओबीसी को 22 से 27 प्रतिशत आरक्षण मिल सकता है। वहीं 5 जिलों में ओबीसी की सीटें बड़े पैमाने पर कम होंगी। 5 जिलों में ओबीसी आरक्षण के जटिल मुद्दे पर सरकार को हल निकालना चाहिए।

तो पांच से सात सालों तक लटक लाएगा आरक्षण

फडणवीस ने कहा कि ओबीसी के अतिरिक्त आरक्षण को कायम करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई तो बड़ी बेंच के गठन करने की मांग करनी होगी। अदालत में यह मामला जाने से अगले पांच से सात सालों तक ओबीसी आरक्षण नहीं मिलेगा।
भुजबल बोले जिला परिषद में कम हो जाएंगी ओबीसी सीटें
राकांपा के ओबीसी नेता व प्रदेश के खाद्य व नागरिक आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल ने कहा कि आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा में रहकर ही ओबीसी आरक्षण देकर चुनाव लड़ा जाएगा। इससे स्थानीय निकायों में ओबीसी की सीटें कम हो जाएंगी। भुजबल ने कहा कि राज्य में जिला परिषदों में ओबीसी की 318 सीटें हैं, जिसमें से करीब 100 सीटें कम हो जाएंगी। भुजबल ने कहा कि जिन जिलों में ओबीसी आरक्षण बढ़ने के कारण आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक हो गई थी, उन जिलों में ओबीसी का आरक्षण कम होगा।

भुजबल ने बताया कि बैठक में ओबीसी के एम्पिरिकल डेटा जुटाने के विकल्पों के बारे में चर्चा हुई। राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से एंपिरिकल डाटा मांगने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दाखिल की है। ओबीसी का आरक्षण कम नहीं होगा। 16 जिलों में ओबीसी की सीटों पर असर पड़ सकता है। इन जिलों में ओबीसी आरक्षण के लिए बीच का रास्ता निकालने की कोशिश की जाएगी।

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