नागपुर। म्युकरमायकोसिस कोरोना का भयावह रूप है। इसकी वजह से सबसे अधिक 6,339 मामले सामने आए हैं। इस महामारी की वजह से सैंकड़ों लोग अपनी जान भी गंवा चुके हैं। कइयों की आंखों को निकालना भी पड़ा है। इनमें से एक है नागपुर के रहने वाले नवीन पॉल 46 वर्षीय नवीन पॉल शायद विदर्भ या मध्य भारत में म्युकरमायकोसिस के पहले मरीज हैं। वे तकरीबन डेढ़ करोड़ रुपए खर्च कर भी अपनी आंख को नहीं बचा सके। महाराष्ट्र के एक सरकारी दफ्तर में कार्यरत पॉल को सितंबर में कोविड संक्रमण हुआ था। अक्टूबर में उनके दांत और आंखों में परेशानी शुरू हो गई। परेशानी ज्यादा होने के बाद फरवरी 2021 में डॉक्टर्स ने उनकी बाईं आंख, ऑपरेशन के बाद निकाल दी थी। आंख निकालने से पहले पॉल ने नागपुर के 6 हॉस्पिटल में 13 सर्जिरी भी करवाई थीं।
इन ऑपरेशनों में तकरीबन 1.48 करोड़ का खर्च आया था। इसमें से उन्हें एक करोड़ रुपए रेलवे से मिले, जहां उनकी पत्नी कार्यरत हैं। बचे हुए 48 लाख रुपयों का इंतजाम पॉल ने खुद किया। मैंने डॉक्टर्स से कहा था कि अगर मेरी आंख निकालने से मेरी जान बच जाती है तो वे इसे निकाल सकते हैं।’ पॉल ने बताया, “मैं सबसे पहले शहर के न्यूरोलॉजी हॉस्पिटल में एडमिट हुआ। इसके बाद मुझे हैदराबाद के एक नेत्र हॉस्पिटल में भेज दिया गया। कुछ दिन वहां रहने के बाद मुझे नागपुर एक अन्य हॉस्पिटल में ट्रांसफर कर दिया गया। यहां कुछ दिन रहने के बाद मुझे मुंबई के कॉर्पोरेट हॉस्पिटल में ट्रांसफर कर दिया गया था। यहां तकरीबन 19 लाख रुपए का बिल देने के बाद मैं वापस नागपुर आ गया और यहां के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में मेरी आंख को निकाला गया। वह खुश है कि उसकी जिंदगी बच गई। इस ऑपरेशन के बाद उनके मुंह और आंख के पास बड़े छेद बन गए हैं। कई बार खाना खाने के दौरान खाना इसमें चला जाता है। डॉक्टरों का कहना है कि कृत्रिम पार्ट लगाकर इसे सही किया जा सकता है।