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Thursday, September 19, 2024
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मनपा में सत्तारूढ़ शिवसेना के महज 3 नगरसेवक कर्मठ, भाजपा एक कदम आगे, जानें टॉप 10 में कौन-कहां

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मुंबई। भारत ही नहीं, समूचे एशिया महाद्वीप में सबसे बड़ा स्थानीय स्वायत्त निकाय मानी जाने वाली 227 सदस्यीय व 133 साल पुरानी मुंबई मनपा में कामकाज को लेकर टॉप 10 नगरसेवकों में सत्ताधारी शिवसेना के सिर्फ 3 सदस्यों का समावेश है, जबकि भाजपा उससे एक कदम आगे ही हैं। प्रजा फाउंडेशन नामक संस्था ने हाल ही में मुंबई मनपा के नगरसेवकों के कामकाज की समीक्षा कर संयुक्त प्रगति पुस्तिका जारी है। प्रगति पुस्तिका की रिपोर्ट के मुताबिक इस सिलसिले के अंतर्गत टॉप 10 में भाजपा के 4 नगरसेवक हैं। शिवसेना के साथ राज्य की सत्ता में साझेदार कांग्रेस का भी वही हाल है, जो शिवसेना का। उसके भी महज 3 नगरसेवक टॉप 10  में स्थान बना पाने में कामयाबी पाई है।

BJP के हरीश छेड़ा, स्वप्ना म्हात्रे, सेजल देसाई व प्रीति साटम: रिपोर्ट के अनुसार, इस टॉप 10 लिस्ट में अव्वल स्थान पर हैं विपक्ष के नेता एवं कांग्रेस नगरसेवक रवि राजा, जबकि शिवसेना के समाधान सरवणकर दूसरे और भाजपा के हरीश छेड़ा तीसरे स्थान पर हैं। टॉप 10 में भाजपा के जो 4  नगरसेवक हैं, उनमें हरीश छेड़ा, स्वप्ना म्हात्रे, सेजल देसाई और प्रीति साटम हैं। कांग्रेस के रवि राजा के साथ वीरेंद्र चौधरी और मोहसिन हैदर तथा शिवसेना के सरवणकर, सचिन पड़वल और सुजाता पाटेकर टॉप टेन में हैं। प्रजा फाउंडेशन ने इस वर्ष कोरोनाकाल के मद्देनजर नगरसेवकों के कामकाज की वार्षिक समीक्षा कर प्रगति पुस्तिका तो नहीं बनाई, पर संयुक्त प्रगति पुस्तिका अवश्य तैयार जारी की है। इसमें टॉप 10 के रवि राजा, समाधान सरवणकर और हरीश छेड़ा ने क्रमश: 81.12 %, 80.42 % और 77.81 % अंक हासिल किए हैं।
किसी भी नगरसेवक को ‘ ए ‘ ग्रेड नहीं: प्रगति पुस्तिका में  नगरसेवकों के 2017 से 2021 तक के कामकाज में प्रदर्शन की समीक्षा की गई है। यह रिपोर्ट नगरसेवकों द्वारा सदन में पूछे गए प्रश्नों के साथ ही अपने-अपने वार्ड में किए गए कार्यों पर आधारित है। खास बात यह है कि पिछले 4 साल में नगरसेवकों द्वारा पूछे गए सवालों की गुणवत्ता का मूल्यांकन करने पर किसी भी नगरसेवक को ‘ ए ‘ ग्रेड नहीं मिल सका, सिर्फ 10 % नगरसेवकों को ए / बी ग्रेड मिला है। इनमें सत्तारूढ़ शिवसेना के केवल तीन नगरसेवक हैं। कोरोनाकाल के शुरुआती दिनों में मनपा की बैठकें नहीं हुआ करती थीं। बाद में ये बैठकें ऑडियो-विजुअल के जरिए होने लगीं। रिपोर्ट  तैयार करते वक्त इसे ध्यान में रखा गया है। बाकी नगरसेवकों को सी, डी, ई, एफ श्रेणी में शामिल किया गया है।

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