विभिन्न जातियों और धर्मों के लोगों ने एक-दूसरे से बात करना बंद कर दिया है और हम कहते हैं कि यह 21वीं सदी है। हम प्रगति कर रहे हैं, क्या यह प्रगति है? सांसद उदयनराजे भोसले ने अपनी स्पष्ट राय व्यक्त की कि यदि प्रगति करनी है तो हमें शिवाजी महाराज की सोच पर चलना होगा।
छत्रपति शाहू महाराज की 273वीं जयंती पर सतर में कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में सांसद छत्रपति उदयनराजे भोसले उपस्थ्ति हुए। इस अवसर पर उदयनराजे को शिवाजी महाराज की मूर्ति भेंट कर सम्मानित किया गया। इस मौके पर बोलते हुए उदयनराजे ने कट्टर राजनीति पर जोरदार हमला बोला।
उदयनराजे ने कहा, मैं छत्रपति शिवाजी महाराज, संभाजी महाराज, शाहू महाराज को प्रणाम करता हूं। हम लोकतंत्र में रहते हैं क्योंकि वहां महान पुरुष थे। इसके बिना, हम गुलामी में होंगे। लेकिन, यह बुरा लगता है कि उन्हें बदनाम किया जाता है। महापुरुषों की निन्दा करने वालों की कुटिलता में हम वृद्धि देख रहे हैं। शिवाजी महाराज के विचारों को भुलाया जा रहा है। स्वार्थ के कारण टकराव पैदा किया जा रहा है।
वंशवाद के कारण विकेन्द्रीकरण की बात चली गई है, विकेन्द्रीकरण केवल बोलचाल में है। बाकी सब जगह केंद्रीकरण होगा, अगर यही केंद्रीकरण ऐसे ही चलता रहा तो देश को 29 टुकड़ों में बंटते देर नहीं लगेगी। अगर शिवाजी महाराज न होते तो लोकतंत्र को टूटने में कितना समय लगता? यह खतरनाक है कि शासकों ने सर्वेश्वरवाद की परिभाषा बदल दी। टुकड़ों की बात आने पर हर कोई कीमत चुकाएगा। उदयनराजे ने कहा कि जैसे देश भुगतेगा वैसे ही उनके परिवार को भी भुगतना पड़ेगा।
इस अवसर पर बोलते हुए उदयनराजे ने कट्टर राजनीति पर जोरदार प्रहार किया। उन्होंने कहा कि क्योंकि सर्वधा समभाव की अवधारणा को भुला दिया गया है, इसलिए समाज में दरार है। अगर आप इस्लामिक देशों को देखें तो वहां राजशाही है। अगर शिवाजी महाराज ने राजशाही रखने की सोची होती तो आज भी हमारे पास राजशाही है, लेकिन, शिवाजी महाराज ने महसूस किया कि लोगों की भागीदारी आवश्यक थी।