Skin To Skin Touch के बिना भी लागू होगा पॉक्‍सो एक्‍ट,SC ने HC का पलटा फैसला

Skin To Skin Touch के बिना भी लागू होगा पॉक्‍सो एक्‍ट,SC ने HC का पलटा फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बॉम्बे हाईकोर्ट के उस फैसले को पलटते हुए बड़ा फैसला सुनाया है, जिसमें कहा गया था कि यौन उत्‍पीड़न के लिए स्किन टू स्किन टच होना जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्‍बे हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए कहा है कि पॉक्‍सो एक्‍ट में स्‍किन टू स्किन टच जरूरी नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह नहीं कहा जा सकता है कि यौन उत्‍पीड़न की मंशा से कपड़े के ऊपर से बच्‍चे के संवेदनशील अंगों को छूना यौन शोषण नहीं है। अगर ऐसा कहा जाएगा तो बच्‍चों को यौन शोषण से बचाने के लिए बनाए गए पॉक्‍सो एक्‍ट की गंभीरता खत्‍म हो जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्‍बे हाईकोर्ट के फैसले को रद्द करते हुए आरोपी को 3 साल की सजा सुनाई है। बॉम्‍बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने यौन उत्‍पीड़न के एक आरोपी को यह टिप्‍पणी करते हुए बरी कर दिया था कि अगर आरोपी और पीड़िता के बीच कोई सीधा त्वचा से त्वचा संपर्क नहीं है, तो पॉक्सो एक्‍ट के तहत यौन उत्पीड़न का कोई अपराध नहीं बनता है। शीर्ष अदालत ने फैसलों पर रोक लगाते हुए महाराष्ट्र सरकार को नोटिस भी जारी किया था और अटॉर्नी जनरल को फैसले के खिलाफ अपील दायर करने की अनुमति दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने 30 सितंबर को मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट बॉम्‍बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ द्वारा जारी इस विवादास्पद फैसले के खिलाफ अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल द्वारा दाखिल याचिका समेत इस याचिका का समर्थन करते हुए महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग सहित कई अन्य पक्षकारों की ओर से दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था।

क्या है पॉक्सो एक्ट
18 साल से कम उम्र के बच्चों से किसी भी तरह का सेक्सुअल बर्ताव इस कानून के दायरे में आता है। ये कानून लड़के और लड़की को समान रूप से सुरक्षा प्रदान करता है। इस एक्ट के तहत बच्चों को सेक्सुअल असॉल्ट, सेक्सुअल हैरेसमेंट और पोर्नोग्राफी जैसे अपराधों से प्रोटेक्ट किया गया है। 2012 में बने इस कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गई है। पॉक्सो कनून के तहत सभी अपराधों की सुनवाई, एक विशेष न्यायालय द्वारा कैमरे के सामने बच्चे के माता पिता या जिन लोगों पर बच्चा भरोसा करता है। अगर कोई शख्स किसी बच्चे के शरीर के किसी भी हिस्से में प्राइवेट पार्ट डालता है तो ये सेक्शन-3 के तहत अपराध है।

इसके लिए धारा-4 में सजा तय की गई है,अगर अपराधी ने कुछ ऐसा अपराध किया है, जोकि बाल अपराध कानून के अलावा किसी दूसरे कानून में भी अपराध है तो अपराधी को सजा उस कानून में तहत होगी जो कि सबसे सख्त हो। अगर कोई शख्स किसी बच्चे के प्राइवेट पार्ट को टच करता है या अपने प्राइवेट पार्ट को बच्चे से टच कराता है तो धारा-8 के तहत सज़ा होगी। अगर कोई शख्स गलत नीयत से बच्चों के सामने सेक्सुअल हरकतें करता है, या उसे ऐसा करने को कहता है, पोर्नोग्राफी दिखाता है तो 3 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है। इस अधिनियम में ये भी प्रावधान है कि अगर कोई व्यक्ति ये जानता है कि किसी बच्चे का यौन शोषण हुआ है तो उसके इसकी रिपोर्ट नजदीकी थाने में देनी चाहिए, यदि वो ऐसा नही करता है तो उसे छह महीने की कारावास की सज़ा होगी।

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