मुंबई। सरकार के लाख दावों के बावजूद महाराष्ट्र में डाक्टरों पर हमले नहीं रुक रहे हैं। इस बारे में बांबे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा था पर अदालत ने सरकार का जवाब देख कर नाराजगी जताई और कहा कि लगता है कि महाराष्ट्र सरकार डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर जरा भी गंभीर नहीं है। अदालत में पेश अपने जवाब में राज्य सरकार ने खुद माना है कि डॉक्टरों पर हमले की 436 एफआईआर दर्ज है पर इन पर क्या कार्रवाई हुई उनका कोई ब्यौरा सरकार नहीं पेश कर सकी।
सरकार गंभीर नहीं
दरअसल हाईकोर्ट में डॉक्टरों की सुरक्षा के मुद्दे को लेकर डॉक्टर राजीव जोशी द्वारा दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है। हाईकोर्ट ने कहा है कि ऐसा प्रतीत होता है कि महाराष्ट्र सरकार अपने डॉक्टरों को मरीजों के परिजनों द्वारा किए जाने वाले हमले से सुरक्षा देने को लेकर गंभीर नजर नहीं आ रही है। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी की खंडपीठ ने डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर सरकार की ओर से दायर एक पन्ने के हलफनामे को देखने के बाद यह बात कही।पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य सरकार से डॉक्टरों पर किए गए हमले को लेकर दर्ज की गई एफआईआर की जानकारी मंगाई थी।
436 मामले दर्ज
इसके साथ ही सरकार को स्पष्ट करने को कहा था कि उसने डॉक्टरों की सुरक्षा के बारे में कौन से कदम उठाए हैं। लेकिन सरकार की ओर से दायर किए गए हलफनामे में सिर्फ सामान्य बाते कही गई हैं और महाराष्ट्र मेडिकेयर सर्विस, पर्सन एंड मेडिकेयर इंस्टिट्यूशएन एक्ट की प्रति जोड़ी गई है। हलफनामे में कहा गया है कि राज्यभर में डॉक्टरों पर हमले को लेकर 436 मामले दर्ज किए गए थे। लेकिन इन मामलों का कोई ब्यौरा नहीं दिया गया था।
खंडपीठ ने कहा कि यह हैरानीपूर्ण है कि इस मामले में एक पन्ने का हलफनामा दायर किया गया है। इस मामले में ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य सरकार डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं है। यह बेहद निराशाजनक है। खंडपीठ ने अब राज्य के स्वास्थ्य विभाग के उपसचिव को इस बारे में हलफनामा दायर करने को कहा है और हलफनामे में डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर दिए गए सुझावों पर भी अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है।