भीषण गर्मी के बीच देश के लिए एक राहतभरी खबर सामने आई है। जहां तापमान रिकॉर्डतोड़ ऊंचाई छू रहा है, वहीं जलाशयों में पानी की उपलब्धता ने मई-जून के संकट को फिलहाल टाल दिया है। केंद्रीय जल आयोग (CWC) के ताजा आंकड़े बताते हैं कि देश के 161 प्रमुख जलाशयों में वर्तमान में 72.91 अरब घन मीटर (बीसीएम) पानी उपलब्ध है, जो उनकी कुल भंडारण क्षमता का लगभग 40 प्रतिशत है। यह न सिर्फ पिछले साल की तुलना में 14.23 प्रतिशत ज्यादा है, बल्कि सामान्य औसत से भी करीब 18 प्रतिशत अधिक है।
इस सकारात्मक स्थिति के पीछे पिछले साल का बेहतर मानसून बड़ी वजह है। भारतीय मौसम विभाग के अनुसार, वर्ष 2024 में दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान सामान्य से 8% अधिक वर्षा दर्ज की गई। इसके चलते जलाशयों में पर्याप्त जलभराव हुआ। निजी मौसम एजेंसी स्काईमेट ने इस साल भी सामान्य से 3% अधिक मानसून वर्षा का अनुमान जताया है। एजेंसी का कहना है कि ला नीना प्रभाव खत्म हो रहा है और अल-नीनो की आशंका नहीं है, जिससे किसानों को राहत मिलने की संभावना है।
देशभर में जलाशयों की स्थिति क्षेत्रवार भिन्न नजर आ रही है। उत्तर और पूर्वी भारत के जलाशयों में पानी की उपलब्धता में गिरावट दर्ज की गई है, जबकि मध्य, दक्षिण और पश्चिमी भारत के जलाशयों में पिछले वर्ष की तुलना में बेहतर स्थिति है। उत्तर भारत के हिमाचल प्रदेश, पंजाब और राजस्थान में जल स्तर लगभग 30 प्रतिशत घटकर 4.555 बीसीएम रह गया है। पूर्वी भारत के बिहार, झारखंड, ओडिशा, असम जैसे राज्यों में भी पानी की कमी देखी गई है, जहां वर्तमान स्तर 8.150 बीसीएम है, जो पिछले साल के मुकाबले लगभग 20 प्रतिशत कम है। इसके विपरीत, मध्य भारत—जिसमें मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड शामिल हैं—के जलाशयों में 22.021 बीसीएम पानी है, जो पिछले वर्ष से थोड़ा अधिक है।
दक्षिण भारत में जलाशयों की स्थिति सबसे बेहतर है। आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों में पानी की उपलब्धता लगभग दोगुनी होकर 20.092 बीसीएम तक पहुंच गई है। इसी तरह पश्चिम भारत के महाराष्ट्र, गुजरात और गोवा में जल स्तर में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और कुल जलस्तर 18.092 बीसीएम है।
राज्यवार स्थिति की बात करें तो मिजोरम में हालात सबसे खराब हैं, जहां सामान्य के मुकाबले जल स्तर में 99.4 प्रतिशत की भारी गिरावट आई है। पंजाब में 56.8 प्रतिशत, हिमाचल प्रदेश में 39.77 प्रतिशत और बिहार में 37.2 प्रतिशत कम पानी दर्ज किया गया है। ये राज्य गर्मियों में पानी की कमी से जूझ सकते हैं। दूसरी ओर, कई राज्यों में जलाशयों की स्थिति अत्यंत संतोषजनक है। मेघालय में सामान्य से 73 प्रतिशत, तमिलनाडु में 71 प्रतिशत, गुजरात में 64 प्रतिशत, आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश में 50-50 प्रतिशत, त्रिपुरा में 46 प्रतिशत और असम में सामान्य से 40 प्रतिशत अधिक पानी मौजूद है। यह भिन्नता दर्शाती है कि जहां एक ओर कुछ राज्य गंभीर जल संकट के कगार पर हैं, वहीं अन्य राज्य जल भंडारण के लिहाज से सुरक्षित स्थिति में हैं।
जल विशेषज्ञों का मानना है कि जलाशयों में मौजूदा भंडारण से गर्मियों में पीने के पानी और सिंचाई दोनों की जरूरतें बेहतर तरीके से पूरी की जा सकती हैं। हालांकि उत्तर और पूर्व भारत के लिए जल प्रबंधन पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है, क्योंकि वहां गर्मी के साथ-साथ जल संकट भी गहराने की आशंका है।
कुल मिलाकर, मौसम की मार और बढ़ती जल मांग के बीच यह खबर देश के करोड़ों किसानों और शहरों में पानी आपूर्ति से जुड़े प्रशासनिक तंत्र के लिए राहत की सांस जैसी है। लेकिन यह भी स्पष्ट है कि जल संरक्षण और समान वितरण नीति को और मजबूत करना अब भी समय की सबसे बड़ी मांग है।
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