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Sunday, October 6, 2024
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आरटीआई से खुलासा, लॉकडाउन में बढ़े वरिष्ठ नागरिकों के आत्महत्या के मामले

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मुंबई। वर्ष 2020 में कोविड लॉकडाउन ने मुंबई शहर में वरिष्ठ नागरिकों और पुरुष वयस्कों के मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित किया है, मुंबई पुलिस से आरटीआई के तहत प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 2019 की तुलना में 2020 में आत्महत्या खासकर बुजुर्गों की खुदकुशी की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई। वर्ष 2019 में दर्ज की गई 1229 आत्महत्याओं की तुलना में 2020 में कुल 1282 नागरिकों ने आत्महत्या की, जो प्रति दिन 3 व्यक्ति हैं। डेटा से पता चलता है कि महिला वयस्कों की तुलना में पुरुष वयस्कों पर लॉकडाउन का गंभीर प्रभाव पड़ा।

2020 में महिला वयस्कों (18 से 60 वर्ष की आयु) में आत्महत्या में 13% की गिरावट आई। 2019 में 312 महिलाओं ने आत्महत्या की थी। 2020 में यह घटकर 269 हो गया, जबकि इसी अवधि में पुरुष वयस्कों की आत्महत्या में 14% की वृद्धि दर्ज हुई। 2019 में 715 पुरुषों ने खुदकुशी तो 2020 में यह संख्या बढ़ कर 816 हो गई। यह स्पष्ट रूप से दिखाता है कि पुरुषों और महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर लॉकडाउन का विपरीत प्रभाव पडा। यह जानकारी हासिल करने वाले आरटीआई कार्यकर्ता जीतेंद्र घाडगे कहते हैं कि ऐसा लगता है कि पुरुष वयस्कों ने वित्तीय नुकसान, नौकरी छूटने और नशे की लत के कारण इस तरह के आत्मघाती कदम उठाए हैं। हालांकि घर में परिवार की एकजुटता ने महिला वयस्कों में आत्महत्या को कम किया है।

वरिष्ठ नागरिकों के मानसिक स्वास्थ्य पर लॉकडाउन का सबसे बुरा प्रभाव पड़ा, उनकी आत्महत्याओं में 31% की वृद्धि हुई है, विशेष रूप से महिला वरिष्ठ नागरिकों की आत्महत्या में 60% की वृद्धि हुई। 2019 में यह आकड़ा 23 था जो बढ़कर 2020 में 37 हो गया। जबकि पुरुष वरिष्ठ नागरिकों की आत्महत्या में 21% की वृद्धि।  2019 में 69 बुजर्ग पुरुषों ने आत्महत्या की 2020 में यह आकड़ा बढ़ कर 84 हो गया। ये आंकड़े स्पष्ट रूप से संकेत देते हैं कि वरिष्ठ नागरिक कोविड लॉकडाउन से गहराई से प्रभावित थे। वरिष्ठ नागरिक अपनी दैनिक जरूरतों और बुनियादी जीवन यापन के लिए पूरी तरह से दूसरों पर निर्भर हैं। दुर्भाग्य से, लॉकडाउन के कारण वे गंभीर तनाव में आ गए और असहाय महसूस करने लगे जिससे उनका मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हुआ।

घटी युवाओं की आत्महत्या

2019 की तुलना में युवाओं-बच्चों में आत्महत्या के मामलों में 13% की गिरावट आई है। समझा जा रहा है कि तालाबंदी के दौरान वे अपने माता-पिता की चौकस निगाहों में थे। इस लिए उनकी खुदकुशी की घटनाओं में कमी आई।  द यंग व्हिसलब्लोअर्स फाउंडेशन के संयोजक जितेंद्र घाडगे के अनुसार, “कुल मिलाकर नागरिकों के मानसिक स्वास्थ्य पर लॉकडाउन के प्रभाव को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया है, जिसके कारण आत्महत्याओं में वृद्धि देखी गई है। हमें उम्मीद है कि भविष्य में होने वाले लॉकडाउन में सरकार लॉकडाउन के नियम बनाते समय नागरिकों के मानसिक स्वास्थ्य पर विचार करेगी और उन लोगों की सहायता के लिए पूरी तरह तैयार रहेगी जो लॉकडाउन और महामारी के डर से निपटने में असमर्थ हैं।”

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