राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) इस वर्ष अपने स्थापना के 100 वर्ष पूरे कर रहा है। इस ऐतिहासिक अवसर पर विजयादशमी उत्सव का आयोजन 2 अक्टूबर 2025 को नागपुर के ऐतिहासिक रेशीमबाग मैदान में होगा। इस समारोह में भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. रामनाथ कोविंद मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करेंगे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना वर्ष 1925 में विजयादशमी के दिन हुई थी। तभी से यह पर्व संघ के लिए आत्मचिंतन, सांस्कृतिक गर्व और राष्ट्रीय मूल्यों के पुनः संकल्प का प्रतीक बन गया है। इस वर्ष का उत्सव विशेष महत्व रखता है क्योंकि संघ अपनी शताब्दी मना रहा है।
उत्सव का मुख्य आकर्षण होगा पारंपरिक शस्त्र पूजन, जो धर्म की रक्षा और अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक माना जाता है। परंपरा के अनुसार, संघ प्रमुख (सरसंघचालक) डॉ. मोहन भागवत swayamsevaks को संबोधित करेंगे। उनका वार्षिक भाषण राष्ट्रीय, सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दों पर संगठन का दृष्टिकोण स्पष्ट करता है और पूरे देश का ध्यान आकर्षित करता है।
विजयादशमी उत्सव के अंतर्गत अप्टा (शमी) पत्तों का आदान-प्रदान भी होता है, जिसे ‘सोना’ माना जाता है। यह समृद्धि, भाईचारे और सद्भाव का प्रतीक है। शाम को स्वयंसेवक सरसंघचालक से मिलकर ये पत्ते भेंट करते हैं, जो सामूहिक बंधन को और मजबूत करता है।
पिछले वर्षों में भी कई प्रतिष्ठित हस्तियां संघ के विजयादशमी उत्सव में शामिल हो चुकी हैं। 2024 में इस आयोजन में पूर्व इसरो प्रमुख डॉ. के. राधाकृष्णन मुख्य अतिथि थे। इस बार, पूर्व राष्ट्रपति डॉ. कोविंद की उपस्थिति आयोजन को ऐतिहासिक और गरिमामयी बनाएगी। संघ के 100 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर यह उत्सव एक मील का पत्थर साबित होगा। परंपरा, प्रतीक और आत्मचिंतन से सजे इस आयोजन में देशभर से स्वयंसेवक और आमजन की बड़ी संख्या में भागीदारी की उम्मीद है।
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