मुंबई, मराठा आरक्षण को लेकर विभिन्न दलों के नेताओं से मुलाकात कर रहे भाजपा सांसद संभाजी राजे ने राज्य सरकार को चेतावनी दी है कि यदि 6 जून तक मराठा समाज की मांगे नहीं मानी गई तो हम राज्यभर में आंदोलन शुरु करेंगे। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा मराठा आरक्षण रद्द करने से समाज समाज बहुत दुखी है। कोरोना संकट को देखते हुए मेरी वजह से आंदोलन रुका हुआ है। पर सरकार ने मांगे नहीं मानी तो मैं खुद आंदोलन का नेतृत्व करुंगा। मैं मराठा समाज के लोगों को नहीं बल्कि सभी विधायकों और सांसदों को लेकर आंदोलन में उतरूंगा।
इसके पहले शुक्रवार को संभाजी राजे ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, पीडब्ल्यूडी मंत्री तथा मराठा आरक्षण उपसमिति के अध्यक्ष अशोक चव्हाण, राजस्व मंत्री बाला साहेब थोरात और विधान परिषद में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की। गुरुवार को उन्होंने राकांपा अध्यक्ष शरद पवार से भी मुलाकात की थी। पत्रकारों से बाततचीत में संभाजी राजे ने कहा कि मैंने सत्तारूढ और विपक्ष के नेताओं के सामने मराठा समाज के आरक्षण देने के लिए तीन विकल्प रखा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार मराठा आरक्षण के लिए पुनर्विचार याचिका दाखिल करे। यदि पुनर्विचार याचिका खारिज हुई तो क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल करे। इसके अलावा राज्य सरकार संविधान के अनुच्छेद 342(ए) के तहत राज्यपाल के माध्यम से केंद्र सरकार को आरक्षण के लिए प्रस्ताव दे सकती है। संभाजी राजे ने कहा कि मराठा समाज को ओबीसी कोटा में विशेष कोटा बनाकर आरक्षण दिया जा सकता है क्या है राज्य सरकार और विपक्ष के नेता को स्पष्ट करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कहा कि मराठा आरक्षण देने की जिम्मेदारी केंद्र और राज्य सरकार दोनों की है।
सरकार मराठा समाज के लिए ठोस कदम उठाए नहीं तो कह दे कि मराठा समाज का वोट नहीं चाहिए। फिर हम देखेंगे कि क्या करना है। उन्होंने कहा कि मराठा समाज की पांच प्रमुख मांगे हैं कि मराठा समाज के मुद्दे पर चर्चा के लिए विधानमंडल का दो दिवसीय अधिवेशन बुलाया जाए, ओबीसी समाज के तर्ज पर मराठा समाज को शिक्षा के लिए सुविधाएं मिलें, सरकार सारथी संस्था को एक हजार करोड़ रुपए निधि उपलब्ध कराए। मराठा समाज के छात्रों के लिए हर जिले में छात्रावास स्थापित किया जाए, अण्णासाहब पाटील आर्थिक विकास महामंडल की परियोजना की मर्यादा 25 लाख की जाए। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार राज्य में 9 सितंबर 2020 से पहले सरकारी नौकरी के लिए परीक्षा में पास हुए मराठा समाज के युवाओं को नियुक्ति दी जाए और मराठा आरक्षण के मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक आयोजित की जाए।