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Friday, December 5, 2025
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हर नए मोबाइल फोन में अनिवार्य होगा यह सरकारी ऐप; भारत सरकार का आदेश

डिलीट करना भी नहीं होगा संभव

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भारत सरकार ने सभी प्रमुख स्मार्टफोन कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे अगले 90 दिनों के भीतर हर नए मोबाइल फोन में सरकारी साइबर सुरक्षा ऐप संचार साथी को प्री-इंस्टॉल करें और इसे उपयोगकर्ता फोन से हटाने या डिसेबल करने की अनुमति नहीं होगी। टेलीकॉम मंत्रालय की ओर से जारी यह आदेश सार्वजनिक रूप से जारी नहीं किया गया, बल्कि निजी तौर पर स्मार्टफोन निर्माताओं को भेजा गया है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, यह कदम मोबाइल उपकरणों की सुरक्षा, फर्जी IMEI नंबरों के दुरुपयोग और साइबर धोखाधड़ी की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए उठाया गया है।

सरकारी आदेश में यह भी कहा गया है कि जो स्मार्टफोन पहले से सप्लाई चेन में मौजूद हैं, उनमें कंपनियों को यह ऐप सॉफ्टवेयर अपडेट के जरिए भेजना होगा। इस निर्देश का प्रभाव Apple, Samsung, Xiaomi, Oppo और Vivo जैसी लगभग सभी दिग्गज कंपनियों पर पड़ेगा। भारत में 1.2 बिलियन से अधिक मोबाइल उपभोक्ताओं के चलते यह निर्णय बेहद व्यापक असर डालने वाला माना जा रहा है।

हालांकि, इस आदेश से सबसे अधिक चुनौती Apple के सामने है, क्योंकि कंपनी की पॉलिसी किसी भी तृतीय पक्ष या सरकारी ऐप को फोन की बिक्री से पहले प्री-इंस्टॉल करने की अनुमति नहीं देती। विशेषज्ञों का कहना है कि Apple इसके विरोध में सरकार से बातचीत कर सकता है या फिर किसी वैकल्पिक समाधान की मांग कर सकता है। काउंटरपॉइंट रिसर्च के निदेशक तरुण पाठक ने कहा, “Apple ने पहले भी ऐसी मांगों को ठुकराया है। संभव है कि वे अनिवार्य प्री-इंस्टॉल के बजाय उपयोगकर्ताओं को ऐप इंस्टॉल करने के लिए प्रेरित करने का विकल्प पेश करें।”

सरकार का तर्क है कि संचार साथी ऐप टेलीकॉम नेटवर्क पर फर्जी IMEI, चोरी के मोबाइल फोन, स्पूफ कॉल्स और अन्य साइबर सुरक्षा खतरों से निपटने के लिए जरूरी है। सरकार के आंकड़े बताते हैं कि इस ऐप की मदद से अब तक 3.7 मिलियन से अधिक चोरी या गुम हुए फोन ब्लॉक किए जा चुके हैं, जबकि 30 मिलियन से अधिक फर्जी मोबाइल कनेक्शन समाप्त किए गए हैं। इसके अलावा ऐप के माध्यम से 7 लाख से अधिक मोबाइल फोन पुनः बरामद किए गए हैं, जिनमें अकेले अक्टूबर महीने में 50,000 फोन शामिल हैं।

गोपनीयता विशेषज्ञ इस फैसले पर सवाल भी उठा रहे हैं। उनका कहना है कि यदि सरकारी ऐप को फोन में अनिवार्य किया जाता है और उसे हटाने की अनुमति नहीं दी जाती, तो यह उपयोगकर्ताओं की गोपनीयता और डिजिटल स्वतंत्रता पर प्रभाव डाल सकता है। हालांकि, सरकार का कहना है कि ऐप केवल उपकरण-स्तर की सुरक्षा के लिए है और साइबर अपराधों से लड़ने में इसकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। 90 दिनों के भीतर कंपनियों को इस आदेश का पालन करना होगा। उद्योग जगत की प्रतिक्रिया और Apple जैसे अंतरराष्ट्रीय निर्माताओं का रुख आने वाले दिनों में इस फैसले के भविष्य को तय करेगा।

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