मुंबई। कोविड महामारी के बैकग्राउंड पर महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार ने 28 जुलाई की कैबिनेट मीटिंग में प्राइवेट स्कूलों की फीस में कटौती करने का निर्णय तो ले लिया, पर यह महज ऐलान है, इस संबंध में अध्यादेश कहां है और कब निकलेगा ?’ राज्य के प्रमुख विपक्षी दल भाजपा ने यह सवाल दागा है। भाजपा नेता एवं विधायक अतुल भातखलकर ने राज्य सरकार के इस रवैए को आड़े हाथों लिया है।
स्कूल चल रहे ऑनलाइन, फीस की पूरी वसूली
वैश्विक महामारी कोविड के कारण देश भर में बीते साल भर से ज्यादा अवधि से स्कूल ऑनलाइन चलाए जा रहे हैं। बावजूद इसके स्कूलों की फीस पूरी वसूली जा रही थी। व्यापक स्तर पर आम परिवार कोरोना के कहर से बुरी तरह टूट चुके हैं, उनकी आमदनी पर हुए प्रभाव के मद्देनजर बारंबार स्कूलों की फीस में कटौती की मांग की जा रही थी। राज्य भर के विविध अभिभावक संगठनों समेत विपक्षी नेता लगातार यही मांग कर रहे थे, लेकिन सरकार की समझ में यह बात नहीं आ रही थी। सो, वह इस संदर्भ में मौन साधे बैठी थी।
हाईकोर्ट ने भी ठाकरे सरकार को लिया था आड़े हाथों
भाजपा नेता विधायक अतुल भातखलकर ने इस बारे में उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी, जिस पर सुनवाई के दरमियान न्यायालय ने भी ठाकरे सरकार को आड़े हाथों लिया। इसी सब का मिलाजुला नतीजा है कि ठाकरे सरकार को स्कूलों की फीस में 15% की कटौती का निर्णय लेना पड़ा। वैसे अभी तक रह मात्र घोषणा ही है।
…वरना जारी आंदोलन को और प्रखर कर देगी भाजपा
सरकार के इस संबंध में कोरी घोषणा किए जाने से भाजपा जबरदस्त आक्रमक मूड में है। विधायक अतुल भातखलकर का कहना है, ‘ ठाकरे सरकार के अब तक के इतिहास पर यदि गौर करें, तो ‘ धूर्त की दावत का तब तक भरोसा न करो, जब तक वह मिल न जाए ‘ वाली कहावत उस पर एकदम सटीक बैठती है। उनकी माँग है, ‘ सरकार को चाहिए कि वह तत्काल कैबिनेट की मीटिंग में इस अध्यादेश को मंजूर करे और उस पर राज्यपाल के दस्तखत करा कर तुरंत लागू कर दे। साथ ही, वह स्थगित न हो, इस पर भी गौर करे। भातखलकर ने स्पष्ट लहजे में यह भी कहा है कि अगर वाकई ऐसा होता है, तो उसका स्वागत है, पर यदि सरकार मंशा में खोट निकली, तो भाजपा इस अहम मुद्दे को लेकर जारी अपना आंदोलन और प्रखर कर देगी।