संसद से पारित होने के कुछ दिनों बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सतत परमाणु प्रौद्योगिकी उपयोग और भारत के रूपांतरण के लिए उन्नत परमाणु प्रौद्योगिकी दोहन से जुड़े सस्टेनेबल हारनेसिंग एंड एडवांसमेंट ऑफ़ नुक्लेअर टेक्नोलॉजी फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया बिल (SHANTI) को अपनी मंजूरी दे दी है। सरकार की ओर से 20 दिसंबर 2025 को जारी अधिसूचना के अनुसार, राष्ट्रपति ने इस विधेयक को औपचारिक स्वीकृति प्रदान की।
गौरतलब है कि यह विधेयक संसद में विपक्ष के वॉकआउट के बीच पारित हुआ था। SHANTI बिल के लागू होने के साथ ही भारत के परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में निजी कंपनियों की भागीदारी का रास्ता खुल गया है, जिसे सरकार लंबे समय से आवश्यक सुधार मानती रही है।
विधेयक की आवश्यकता को स्पष्ट करते हुए इससे पहले केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा था कि पुराने कानूनों में परमाणु उपकरण आपूर्तिकर्ताओं पर अत्यंत कठोर दायित्व शर्तें लागू थीं। उनके अनुसार, इन प्रावधानों के कारण उद्योग में एक तरह का मौन भय यानी साइलेंट फोबिया पैदा हो गया था, जिससे न केवल भारतीय बल्कि विदेशी कंपनियां भी परमाणु परियोजनाओं में निवेश और सहयोग से हिचकने लगीं। परिणामस्वरूप, पिछले लगभग एक दशक से इस क्षेत्र में सहयोग लगभग ठप हो गया था।
SHANTI बिल का उद्देश्य इसी भय को दूर करना है, हालांकि इसके साथ जवाबदेही बनाए रखने पर भी जोर दिया गया है। नए ढांचे के तहत यदि किसी परमाणु दुर्घटना की स्थिति उत्पन्न होती है तो उसकी प्राथमिक जिम्मेदारी संयंत्र के ऑपरेटर की होगी। आपूर्तिकर्ताओं से जुड़े किसी भी कानूनी या वित्तीय विवाद का निपटारा ऑपरेटर द्वारा किया जाएगा, न कि सीधे सरकार द्वारा। सरकार का मानना है कि इससे निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा और परियोजनाओं के क्रियान्वयन में तेजी आएगी।
यह विधेयक वर्ष 2025 का SHANTI बिल दो प्रमुख कानूनों का स्थान लेता है, एक परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 और दूसरा परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम, 2010। इन दोनों कानूनों को लंबे समय से अद्यतन करने की मांग की जा रही थी।
विधेयक के तहत एक महत्वपूर्ण संस्थागत सुधार के रूप में परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (AERB) को वैधानिक दर्जा प्रदान किया गया है। इससे नियामक व्यवस्था को अधिक स्वतंत्र, पारदर्शी और मजबूत बनाने में मदद मिलेगी। विकिरण सुरक्षा और परमाणु संचालन की निगरानी को लेकर यह कदम भारत के परमाणु पारिस्थितिकी तंत्र में लंबे समय से महसूस की जा रही आवश्यकता को पूरा करता है।
सरकार का दावा है कि SHANTI बिल से न केवल परमाणु क्षेत्र में निवेश और तकनीकी सहयोग बढ़ेगा, बल्कि भारत के दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा लक्ष्यों को हासिल करने में भी मदद मिलेगी।
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