यूं तो विपक्ष और सत्तापक्ष में किसी मुद्दे पर सहमति बहुत कम देखने को मिलती है पर एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार के घर के सामने एसटी कर्मचारियों के हंगामे के मामले में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों पुलिस की नाकामी पर सवाल उठा रहे हैं। विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस के साथ-साथ उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने पुलिस की कार्य प्रणाली पर सवाल उठाए हैं।
मुंबई में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार के आवास के बाहर महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम के कर्मियों द्वारा किए गए विरोध प्रदर्शन की निंदा करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शनिवार को कहा कि यह पुलिस विभाग और खुफिया एजेंसियों की ‘‘बड़ी विफलता’’ है तथा इसकी जांच होनी चाहिए। भाजपा के वरिष्ठ नेता फडणवीस ने कहा कि उन्होंने पूर्व में कहा था कि एमएसआरटीसी के हड़ताली कर्मचारियों के मुद्दों को उचित मंच पर रखने की जरूरत है तथा राज्य सरकार को उनकी मांगों को सुनना चाहिए।
एसटी महामंडल के 100 से अधिक हड़ताली कर्मियों का एक समूह शुक्रवार को दोपहर बाद दक्षिण मुंबई में पेडर रोड स्थित पवार के आवास ‘सिल्वर ओक’ के बाहर अचानक पहुंच गया और उग्र प्रदर्शन किया। एनसीपी इस घटना को पवार के घर पर हमला बता रही है। प्रदर्शनकारियों ने राकांपा प्रमुख के खिलाफ नारेबाजी की और उनमें से कुछ ने अपने जूते उनके घर की ओर फेंके थे। फडणवीस ने कहा कि महत्वपूर्ण मुद्दा यह है कि पुलिस क्या कर रही थी।
दूसरी तरफ एनसीपी नेता व राज्य के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने पुणे में कहा कि पुलिस विभाग प्रदर्शन के बारे में समय पर सूचना जुटाने में नाकाम रहा। उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि परिवहन निगम के कर्मचारियों को किसने उकसाया था। एमएसआरटीसी के 100 से अधिक कर्मचारियों ने शुक्रवार दोपहर दक्षिण मुंबई में पेडर रोड पर स्थित पवार के बंगले ‘सिल्वर ओक’ के बाहर प्रदर्शन किया था, जिसकी जानकारी पुलिस को नहीं थी। घंटों बाद पुलिस ने वकील गुणरत्ना सदावर्ते समेत 103 लोगों को गिरफ्तार किया था। सदावर्ते का दावा है कि वह परिवहन निगम के प्रदर्शनकारी कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। एमएसआरटीसी के कर्मचारी नवंबर 2021 से हड़ताल पर हैं। उनकी मुख्य मांग है कि नकदी की समस्या से जूझ रहे परिवहन निगम का राज्य सरकार में विलय कर दिया जाए।
अजित पवार ने शनिवार सुबह यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा, ‘‘दो दिन पहले अदालत के आदेश के बाद जश्न हो रहा था और कुछ लोगों ने अदालत के फैसले को जीत के तौर पर पेश किया। ‘सिल्वर ओक’ जाने की कोई वजह नहीं थी…इससे पहले, किसी ने यह भी कहा था कि वे 12 अप्रैल को बारामती (पवार के गृह नगर) जाएंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह सच है कि पुलिस विभाग हमले की सूचना जुटाने में नाकाम रहा। जब प्रदर्शनकारी वहां गए तो मीडियाकर्मी कैमरों के साथ मौजूद थे। इसका मतलब है कि मीडिया को इसके बारे में जानकारी दी गई थी।”
अजित पवार ने सवाल किया कि अगर मीडिया को यह जानकारी मिल सकती है तो पुलिस विभाग को क्यों नहीं? उन्होंने कहा, ‘‘मुझे मिली सूचना के अनुसार, इस प्रकरण की जांच करने के लिए एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को नियुक्त किया गया है।’’ यह पूछने पर कि क्या उन्हें प्रदर्शन में किसी राजनीतिक दल के शामिल होने का संदेह है, राकांपा नेता ने कहा कि वह तब तक कोई बयान नहीं देंगे, जब तक उन्हें जांच रिपोर्ट नहीं मिल जाती।
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