बांबे हाईकोर्ट ने एनसीबी के पूर्व अधिकारी समीर वानखेडे के पिता ज्ञानदेव वानखेड़े की अवमानना अर्जी पर मंगलवार को महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक को कारण बताओ नोटिस जारी किया। ज्ञानदेव ने अपनी अर्जी में दावा किया कि पिछले साल दिसंबर में मलिक ने अदालत में हलफनामा दिया था कि वह उनके परिवार के खिलाफ सोशल मीडिया और सार्वजनिक तौर पर मानहानिकारक बयान नहीं देंगे लेकिन मलिक लगातार ऐसा कर रहे हैं।
पिछले साल अक्टूबर में समीर वानखेड़े की अगुवाई में एक क्रूज जहाज पर हुई छापेमारी के दौरान मादक पदार्थ जब्त करने का दावा किया गया था और इस मामले में अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान समेत कई आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था। इस मामले के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता नवाब मलिक ने समीर वानखेड़े के खिलाफ कई गंभीर आरोप लगाए थे। इसके चलते ज्ञानदेव ने अदालत का रुख किया था। ज्ञानदेव की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता बीरेंद्र सर्राफ ने मंगलवार को उन बयानों को पेश किया जोकि मलिक द्वारा इसी साल जनवरी में अलग-अलग प्रेसवार्ता में दिये गए। सर्राफ ने न्यायमूर्ति एस जे कथावाला और न्यायमूर्ति नितिन जाधव की पीठ से कहा कि मलिक ने समीर वानखेड़े के कथित अवैध जाति प्रमाणपत्र और एनसीबी अधिकारियों द्वारा फिल्मी कलाकारों से अवैध उगाही जैसे आरोप लगाए गए। उन्होंने यह भी दावा किया कि मलिक ने इन प्रेसवाताओं के दौरान ज्ञानदेव द्वारा दायर मानहानि वाद का भी जिक्र किया था।
हालांकि, मलिक की ओर से पेश वकील कार्ल तंबोली ने अदालत से कहा कि उनके मुवक्किल ने सर्राफ द्वारा उल्लेख की गई प्रेसवार्ताओं में समीर वानखेड़े का नाम नहीं लिया। अदालत ने सवाल किया कि राकांपा के नेता क्यों लगातार समार वानखेड़े की जाति प्रमाण अवैध होने के बारे में बात कर रहे हैं जबकि जांच समिति को इस पर अभी निर्णय लेना है। पीठ ने कहा, ‘‘आप क्या करने का प्रयास कर रहे हैं? क्या ऐसा कोई निर्णय है कि जाति प्रमाण पत्र अवैध है या नहीं? अगर नहीं, तो फिर वह (मलिक) कैसे कह सकते हैं कि यह फर्जी है?’’ अदालत ने मलिक को कारण बताओ नोटिस का जवाब 21 फरवरी तक देने का निर्देश दिया है जब ज्ञानदेव वानखेड़े की अवमानना अर्जी पर आगे सुनवाई होगी।
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