मुंबई। कोरोना काल में बीडी-सिगरेट पर पाबंदी लगाने की आशंका के चलते बीडी मजदूरों का यूनियन हाईकोर्ट पहुंच गया है। यूनियन का कहना है कि इस उद्योग से महाराष्ट्र में ही 5 लाख लोगों की रोजी-रोटी जुड़ी है। इस लिए सरकार इस पर रोक न लगाए। दरअसल इस साल जून में राज्य सरकार ने टाटा मेमोरियल कैंसर अस्पताल के डाक्टरों द्वारा तैयार एक रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश की थी। रिपोर्ट के मुताबिक ध्रुमपान करने वालों के कोरोना की चपेट में आने की आशंका ज्यादा रहती है। इसके बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा था कि वह बीडी-सिगरेट की बिक्री पर रोक लगाने की बाबत विचार करे।
हाईकोर्ट में दाखिल आवेदन में मुख्य रुप से कोरोना के उपचार में कुप्रबंधन के मुद्दे को लेकर स्नेहा मर्जादी की ओर से दायर की गई जनहित याचिका में हस्तक्षेप करने की अनुमति देने की मांग की है। क्योंकि इस याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सुझाव स्वरुप कहा था कि जिन्हें धुम्रपान की लत है ऐसे लोगों को कोरोना के चपेट में आने की ज्यादा आशंका है। इसलिए कोरोना काल में बीडी-सिगरेट की बिक्री पर अस्थायी रोक लगाने पर विचार किया जाए। हाईकोर्ट में यूनियन की तरफ से दायर आवेदन में कहा गया है कि यदि इस विषय पर कोर्ई प्रतिकूल आदेश जारी किया जाता है कि तो इससे लाखों लोगों की जीविका प्रभावित होगी। इसके अलावा धुम्रपान करनेवाले कोविड की चपेट में आएंगे। इसको लेकर कोई रिसर्च भी सामने नहीं है। इसलिए इस मामले में कोई भी विपरीत आदेश जारी करने से पहले आवेदनकर्ता के पक्ष को सुना जाए। यूनियन के आवेदन में कहा गया है कि बीड़ी उद्योग की शुरुआत 150 साल पहले हुई थी। अकेले सोलापुर में 70 हजार महिलाएं बीड़ी कारखानों में कार्यरत हैं। जो उनकी जीविका का साधन है। बिड़ी-सिगरेट के कारोबार से करीब पांच लाख लोग जुड़े है।