मुंबई। यह कहानी देश के किसी मध्यवर्गीय परिवार की नहीं है बल्कि देश के जानेमाने उद्योगपति 4 नवंबर 2021 विजयपत सिंघानिया की है। सिंघानिया जिसका कपड़े का ब्रांड रेमंड देश दुनिया में बहुत फेमस है। विजयपत सिंघानिया और उनके बेटे गौतम सिंघानिया की बीच लड़ाई अदालत तक पहुंच चुकी है। इसने बड़े उद्योग समुह के प्रमुख रहे विजयपत सिंघानिया को किराए के घर में रहना पड़ा है। इस बीत विजयपत सिंघानिया ने अपनी आत्मकथा लिखी है। बेटे का डर है कि पिता ने अपनी इस किताब में मुझे कपूत न साबित कर दिया है इस लिए गौतम सिंघानिया ने इस आत्मकथा वाली किताब पर रोक लगाने के लिए हाईकोर्ट का रुख किया और हाईकोर्ट ने फिलहाल इस किताब की बिक्री-वितरण पर रोक भी लगा दी है।
इसके पहले साल 2019 में रेमंड लिमिटेड व उसके चेयरमैन गौतम सिंघानिया ने ठाणे जिला सत्र न्यायालय व मुंबई सिविल कोर्ट में किताब के खिलाफ दावा दायर किया था। दावे के मुताबिक किताब में मानहानि पूर्ण बाते हो सकती है। इसके मद्देनजर ठाणे कोर्ट ने किताब के रिलीज पर रोक लगा दी थी। इसके बावजूद विजयपत सिंघानिया ने 31 अक्टूबर 2021 को किताब के 232 पेज रिलीज कर दिए हैं। इसलिए कंपनी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में दावा किया गया है विजयपत सिंघानियां ने ठाणे कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया है। अवकाशकालीन न्यायमूर्ति सुरेंद्र तावड़े के सामने कंपनी की याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद व याचिका पर गौर करने के बाद न्यायमूर्ति ने अब किताब के वितरण व विक्री पर रोक लगा दी है। कंपनी ने कोर्ट से आग्रह किया है कि मैक मिलन पब्लिशर प्राइवेट लिमिटेड को अब किताब को आगे किताब बेचने से रोका जाए।