दिल्ली-एनसीआर में बढ़ती आवारा कुत्तों की समस्या को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कड़ा रुख अपनाया और स्पष्ट निर्देश जारी किए कि सभी आवारा कुत्तों को पकड़ा जाए और उन्हें अस्थायी रूप से सुरक्षित स्थानों पर भेजा जाए। कोर्ट ने कहा कि इस प्रक्रिया में किसी भी तरह की बाधा स्वीकार नहीं की जाएगी। यदि कोई व्यक्ति, समूह या संस्था कुत्तों को पकड़ने या इकट्ठा करने में अड़चन पैदा करता है, तो उसके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि प्रक्रिया के दौरान किसी की भावनाएं आहत न हों, लेकिन आवारा कुत्तों से छुटकारा पाने के लिए यह पहला और बेहद महत्वपूर्ण कदम है, जिस पर कोई समझौता नहीं होगा। कोर्ट ने साफ कर दिया कि फिलहाल किसी को भी इन कुत्तों को गोद लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 129 और 142(2) के तहत सुप्रीम कोर्ट को अवमानना के दोषियों को दंडित करने का अधिकार है। ‘कोर्ट की अवमानना अधिनियम, 1971’ के तहत अधिकतम छह महीने की जेल, दो हजार रुपये तक जुर्माना, या दोनों सजा के रूप में दी जा सकती है।
अब जबकि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट आदेश जारी कर दिया है, यदि कोई व्यक्ति या संस्था आवारा कुत्तों को पकड़ने की प्रक्रिया में बाधा डालेगा, तो इसे सीधी अवमानना माना जाएगा। ऐसे मामलों में संबंधित लोगों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई की जाएगी, जिसमें जेल और जुर्माना दोनों शामिल हो सकते हैं।
इस आदेश के बाद दिल्ली-एनसीआर में कुत्तों को अस्थायी रूप से सुरक्षित स्थानों पर ले जाने का अभियान तेज़ होने की संभावना है, जबकि विरोध करने वालों के लिए यह चेतावनी किसी सख्त कानूनी जाल से कम नहीं होगी।
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