स्याह रात में भी स्याही ला सकती है सवेरा,कहती हैं मुंबई की नई कलेक्टर

स्याह रात में भी स्याही ला सकती है सवेरा,कहती हैं मुंबई की नई कलेक्टर

मुंबई। मै लिखूंगी क्योंकि ये मुल्क मेरा भी है बसेरा, मै लिखूंगी क्योंकि, स्याह रात में भी स्याही ला सकती है सवेरा कलम की ये इंकलाबी पंक्तियाँ हैं मुंबई सबर्बन की नई कलेक्टर निधि चौधरी की लिखी कविता की। मूलतः राजस्थान में जन्मीं और 2012 बैच की महाराष्ट्र कैडर की आईएएस अफसर निधि साहित्यिक मिजाज की हैं तथा कुशल प्रशासक होने के साथ ही वे अकसर ब्लॉग पर कविताएं लिख अपनी रचनाधर्मिता का भी परिचय दिया करती हैं।

रिजर्व बैंक ने रहीं, पेंटिंग्स भी बनाईं

निधि के मुंबई सबर्बन के कलेक्टर का पद-भार संभालने के बाद इंटरनेशनल मारवाड़ी फेडरेशन के प्रतिनिधिमंडल ने राजस्थान मूल की इस सुपुत्री से सदभावना भेंट कर शुभकामनाएं दीं। उनके बांद्रा स्थित दफ्तर में हुई इस सदभावना भेंट में संस्था की अध्यक्षा सुमन आर अग्रवाल, रोटरी गवर्नर डॉ. राजेंद्र अग्रवाल, तेरापंथी सभा (मुंबई) के वाइस प्रेसीडेंट सुरेश राठोड, अग्रोहा विकास ट्रस्ट के संजय मित्तल, अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन के वीरेंद्र मित्तल, रंजना गुप्ता, बबिता मित्तल आदि मान्यवरों का समावेश था।

वर्ष 2006 में रिजर्व बैंक में कार्यरत रहीं निधि ने न सिर्फ कविताओं समेत इंडियन मायथॉलॉजी से लेकर मूवीज तक लिखीं, 105 पेंटिंग भी बनाई हैं। 25 पेंटिंग्स तो महात्मा बुद्ध पर ही बनाए। दो बच्चों अद्विन और अद्विज की मां निधि अपने परिवार के प्रति पूरी जिम्मेदाराना तो हैं ही,समाज से भी गहरा सरोकार रखती हैं और समय-समय पर अपनी आधिकारिक बातें भी शेयर किया करती हैं। साधारण परिवार में जन्मीं निधि के सभी भाई-बहन सिविल सर्विस में हैं। उनकी बहन विधि आईपीएस और भाई 222 रैंक से आईएएस में चयनित है। निधि उनमें सबसे बड़ी हैं। पिता सोमदत्त नेहरा (चौधरी) सुमेरपुर में जलदाय विभाग में एईएन के पद पर कार्यरत रह चुके हैं।

सोशल मीडिया पर सक्रिय

अपने ब्लॉग पर उन्होंने 50 से ज्यादा कविताएं लि‍खीं हैं। फेसबुक पर उन्हें 2229 लोग फॉलो करते हैं, साथ ही उनके पोस्ट्स बड़े पैमाने पर साझा भी किए जाते हैं। ट्विटर पर निधि के 12.2K यानी 12 हजार से ज्यादा फॉलोअर हैं। निधि खासकर तब तेजी से चर्चा के केंद्र में आई थीं, जब वे मुंबई मनपा में पोस्टेड थीं और महात्मा गांधी को लेकर ट्वीट करने के बाद महाराष्ट्र् सरकार ने निधि को न सिर्फ कारण बताओ नोटिस जारी कर स्‍पष्‍टीकरण मांगा था।

मनपा कार्यालय से उनका ट्रांसफर जलापूर्ति और स्वच्छता विभाग में कर दिया गया था। महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती के मद्देनजर ट्वीट किया था कि कितना शानदार जश्न चल रहा हैऔर यही समय है कि हम उनका चेहरा अपनी करंसी से हटा दें, दुनिया भर से उनकी प्रतिमाएं हटा दें, उनके नाम पर बनाए गए संस्थान और सड़कें भी हटा दें।’ हालांकि, बाद में उन्होंने यह कहकर इस ट्वीट को डिलीट कर दिया था कि उनकी बात का गलत मतलब निकाला जा रहा था।

अपने कर्तव्य का अहसास

उन्होंने तब यह स्पष्ट किया था कि ये उनके निजी विचार हैं। आधिकारिक नहीं। सिविल सर्विस मे आने का मतलब यह तो नहीं हुआ कि खुद की मौलिकता, कल्पना, विचार सब खत्म हो गए? सामाजिक-आर्थिक मुद्दों पर विचार रखना मेरा अधिकार है। यह प्रचलन रहा है कि प्रशासन के अफसरों को सरकार की नीति के खिलाफ नहीं बोलना चाहिए और उसका मै हमेशा से पालन करती हूं, लेकिन संविधान के अनुच्छेद 51 ए के तहत भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रतीकों-मूल्यों की रक्षा करना मेरा कर्तव्य है। अगर कोई गांधीजी के बारे में गलत बात कर रहा है, तो मुझे जवाब देना चाहिए।

विचार हैं, तो करें व्यक्त

इस विवाद से उपजे माहौल के बाद उन्होंने जो कविता लिखी, उसकी क्रांतिकारक पंक्तियाँ यूं हैं। मै लिखूंगी क्योंकि, ये मुल्क मेरा भी है बसेरा, मै लिखूंगी क्योंकि, स्याह रात में भी स्याही ला सकती है सवेरा।’ वे कहती हैं कि व्यक्ति यदि जीवित है, तो उसके विचार होते है और अगर विचार हैं, तो उन्हे व्यक्त करना चाहिए।

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