मुंबई। मुंबई में कोरोना की दूसरी लहर तक तो कुछ गनीमत थी, लेकिन जहां एक ओर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि तीसरी लहर, जो राज्य में दस्तक दे चुकी है, झोपडपट्टीवासियों के लिए सबसे बड़ा खतरा है, वहीं दूसरी ओर कोरोनारोधी-हमदर्द बनी राज्य की ठाकरे सरकार ने अब साफ तौर पर हाथ खड़े कर कह दिया है कि तीसरी लहर पर मनपा खर्च करे। इससे तीसरी लहर के मद्देनजर मनपा के सामने बड़ा यक्षप्रश्न खड़ा हो गया है।
मनपाओं को चूआ पसीना: राज्य सरकार के कहने के मुताबिक उसने कोरोना की पहली-दूसरी लहर में प्रदेश की सभी महानगरपालिकाओं को संक्रमितों के इलाज के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की थी और इसी वजह से मरीजों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाएं हासिल हो सकीं। लेकिन अब सवाल यह उठता है कि तीसरी लहर का वित्तीय सामना मनपाएं आखिर करेंगी कैसे ? निगम के सामने आ जाए तो खर्च कैसे किया जाए। राज्य सरकार के फैसले से यह सोच-सोच कर ही मनपाओं को पसीना चू आया है।
सरकार ने संभाला 2 बार: राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के आयुक्त डॉ. रामास्वामी एन. ने स्पष्ट आदेश दिया है कि हम बीते 2 साल से कोरोना से लड़ रहे हैं। प्रदेश के तमाम मनपाओं ने कोरोना से बचाव के लिए समुचित व्यवस्था लागू की थी। इस सिलसिले में मरीजों को तलाशने से लेकर कॉलोनियों को सील करने, मरीजों को कोविड केयर सेंटर में रखने तक के सभी कार्य मनपाओं के अधिकार क्षेत्र में थे, जबकि रोगियों को दिन में दो बार भोजन, नाश्ता, चाय आदि भी प्रदान किया गया, जिसके लिए राज्य सरकार ने मनपाओं को लागत का भुगतान किया था। तब मनपाओं पर कोई ज्यादा आर्थिक बोझ नहीं था। इसलिए अब प्रदेश की सभी मनपाओं को अपने फंड से तीसरी लहर की तैयारी करनी चाहिए। नतीजा इस आदेश का यह है कि राज्य की दो बड़ी मनपाओं को छोड़कर शेष सभी की हालत खराब है।