भारतीय ट्रांसजेंडर क्रिकेटर अनाया बांगर ने क्रिकेट में ट्रांसजेंडर महिलाओं की भागीदारी को लेकर एक संवेदनशील और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के दावे से भरा पत्र BCCI और ICC को लिखा है। इस पत्र में उन्होंने हॉर्मोन थेरेपी के उनके एथलेटिक प्रदर्शन पर पड़े प्रभावों पर आधारित 8 सप्ताह के एक अंतरराष्ट्रीय शोध का हवाला दिया है। उन्होंने इस पत्र के जरिए महिला क्रिकेट के टीम से खेलने की इच्छा ज़ाहिर की है।
अनाया ने अपने इंस्टाग्राम पर इस पत्र का स्क्रीनशॉट साझा करते हुए लिखा, “यह पत्र खेल के प्रति प्रेम और निष्पक्षता में विश्वास से लिखा गया है। मैंने BCCI और ICC से संपर्क किया है, इस विश्वास के साथ कि विज्ञान और संवाद साथ चल सकते हैं।”
अनाया ने जनवरी से मार्च 2025 तक मैनचेस्टर मेट्रोपॉलिटन यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्ट (यूके) में एक विशेष अध्ययन में भाग लिया था, जिसका उद्देश्य यह आकलन करना था कि हॉर्मोन थेरेपी ने उनकी ताकत, सहनशक्ति, हीमोग्लोबिन स्तर, ग्लूकोज नियंत्रण और प्रदर्शन क्षमता को किस हद तक प्रभावित किया है।
अनाया ने लिखा,”मेरे हीमोग्लोबिन स्तर, ग्लूकोज नियंत्रण और पावर आउटपुट अब सिसजेंडर महिला खिलाड़ियों के सामान्य मानकों के भीतर या उससे नीचे हैं।” “मेरी मांसपेशीय ताकत और स्टैमिना में उल्लेखनीय कमी आई है, जो यह साबित करता है कि हॉर्मोन थेरेपी शरीर को महिला एथलेटिक मानकों के अनुरूप ढालने में प्रभावी रही है।”
अनाया बांगर का दावा है की इसका मुख्य उद्देश्य खेलों में निष्पक्षता और समावेशन को लेकर एक वैज्ञानिक और डेटा-आधारित चर्चा की शुरुआत करना था।
अनाया ने अपने पत्र में BCCI और ICC से तीन मुख्य मांगें की हैं:
- ट्रांसजेंडर महिलाओं की भागीदारी पर औपचारिक संवाद शुरू किया जाए, जो चिकित्सा विज्ञान, प्रदर्शन के मापदंडों और नैतिक निष्पक्षता पर आधारित हो।
- ऐसे खेल-विशिष्ट मानदंड तय किए जाएं जो खिलाड़ियों की योग्यता का आकलन करें — जैसे हीमोग्लोबिन की न्यूनतम सीमा, टेस्टोस्टेरोन दमन की अवधि, और प्रदर्शन परीक्षण।
- नीतियों को तैयार करने में विशेषज्ञों, खिलाड़ियों और कानूनी सलाहकारों की सक्रिय सहभागिता सुनिश्चित की जाए, ताकि निर्णय समावेशी और प्रतिस्पर्धी दोनों हो सकें।
हाल ही में इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ECB) ने एक नई नीति लागू की है जिसके तहत ट्रांसजेंडर महिलाओं को सभी स्तरों के महिला क्रिकेट में खेलने से प्रतिबंधित कर दिया गया है — चाहे वह पेशेवर हो या शौकिया। यह कदम ब्रिटन की सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद आया, जिसमें ‘महिला’ की परिभाषा को जैविक लिंग के आधार पर तय किया गया जो की वैज्ञानिक दृष्टी से सही है। हालांकि, ECB ने ट्रांसजेंडर खिलाड़ियों को मिश्रित श्रेणी और ओपन कैटेगरी में खेलने की अनुमति दी है।
अनाया बांगर का यह प्रयास केवल व्यक्तिगत संघर्ष नहीं, बल्कि भारतीय खेल प्रशासन के सामने एक वैज्ञानिक और मानवीय अपील है। उनका कहना है, “समावेशन का मतलब निष्पक्षता को नजरअंदाज करना नहीं है, बल्कि उसे पारदर्शिता और जिम्मेदारी से मापना है।”
अब देखना यह होगा कि BCCI और ICC इस संवाद को अपनाते हैं या ECB की तरह जैविक लिंग के आधार पर सीमाएं तय करते हैं। क्रिकेट की दुनिया इस पत्र के जवाब की प्रतीक्षा कर रही है। बता दें की ट्रांसजेंडर्स की महिला खेलों में शामिल होने की मुद्दे को लेकर विश्वभर में राजनीतिक और सामाजिक हलके गर्म होते है, ट्रांसजेंडर्स को महिला खेलों में सम्मिलित करना महिलाओं के साथ अन्याय के रुप में देखा जाता है।
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