आदिवासी राम के वंशज हैं,रावण के नहीं, दशहरा पर पूजा का विरोध

आदिवासी राम के वंशज हैं,रावण के नहीं, दशहरा पर पूजा का विरोध

दशहरा के मौके पर पालघर में रावण की भव्य पूजा का आयोजन किया गया है, लेकिन आदिवासी एकता मित्र मंडल ने इसका कड़ा विरोध किया है। आदिवासी समाज भगवान रामचंद्र को अपना देवता मानता है,विवाह समारोह में राम राम कहे बिना अपने सुखी जीवन की शुरुआत नहीं करता, यहां रावण की पूजा का विरोध किया गया है। आदिवासी एकता मित्र मंडल के अध्यक्ष संतोष जनाठे ने पालघर के जिलाधिकारी व जिला पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर इस रावण पूजा को लेकर आगाह किया है। इसमें कहा गया है कि लंकापति रावण के गुणों के बारे में हमें कोई संदेह नहीं है।

पर भारत में आदिवासी, खासकर पालघर में श्री राम को अपना देवता मानते हैं। विवाह समारोह में राम-राम कहे बिना सुखी जीवन की शुरुआत नहीं होती। श्री राम के मामले में ऐसे कई प्रमाण दिए जा सकते हैं, हम सभी आदिवासी रावण नहीं श्री राम के वंशज हैं। समाज में भेदभाव पैदा करने वाले कुछ संगठन रावण को आदिवासियों का राजा कहते हैं। यह गलत है। हमारे राम का अपमान करने वाले रावण की पूजा भारतवर्ष में कहीं नहीं होनी चाहिए। पालघर जिले में भी ऐसा नहीं होने देंगे। रावण को दहन ही करना चाहिए। राम का अपमान करने वाले रावण की पूजा नहीं दहन करना चाहिए।

अतः हमारा निवेदन है कि पूरे पालघर जिले में कहीं भी रावण पूजन की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, अन्यथा वहां विवाद उत्पन्न हो सकता है। इसका विरोध किया है। आदिवासी राजा महात्मा रावण की महापूजा का आयोजन दशहरा के दिन 15 अक्टूबर को ब्राह्मणगांव मोखाड़ा में किया गया है। जिसका कड़ा विरोध किया गया है।

 

 

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