ठाणे। ठाणे मनपा के सीमा क्षेत्रांतर्गत अनधिकृत निर्माणों की बाढ़ आ गई है। इन अनधिकृत निर्माणों के खिलाफ बारंबार कार्रवाई किॆॆए जाने के बावजूद कुछ दिनों बाद वे फिर खड़े हो जाने से इस संदर्भ में मनपा अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की भूमिका विवादों के घेरे में है। इन अनधिकृत निर्माणों के खिलाफ जब भी कार्रवाई होती है, शिकार उसकी सबसे ज्यादा निर्दोष जनता ही होती है। अधिकारी और नेता पाक साफ बन अपना हाथ झटक देते हैं, जबकि अनधिकृत निर्माणों का जंगल पनपाने-‘माल’ खाने में जिम्मेदार-साझेदार यही हैं। उल्लेखनीय है कि ठाणे मनपा म बीते करीब तीस वर्षों से शिवसेना सत्तासीन है और इस अवधि के दरमियान मनपा सीमा क्षेत्र के तहत अनधिकृत निर्माणों में बेशुमार इजाफा हुआ है।
1200 निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई: भर मानसून में बीते दो दिन से कलवा के पहाड़ी परिसर में वन विभाग की भूमि पर अवैध रूप से बने व बेहद जर्जर हालात में पहुंच चुके लगभग 1200 निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई की कवायद जारी है। अपनी 10 टीमों के जरिए कराए सर्वेक्षण से बाद वन विभाग ने इन 1200 निर्माणों के दस्तावेज की सत्यापन प्रक्रिया शुरू कर दी है। यहाँ के लोगों को 2 अगस्त तक दस्तावेज जमा करने का नोटिस जारी किया गया था। नोटिस में साथ ही, इसके बाद इन सभी निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की चेतावनी भी दी गई थी।
सुरक्षात्मक दीवार का निर्माण: वन विभाग का कहना है कि वह इस माह ढलान पर खड़े इन 1,200 ढांचों को पुलिस बंदोबस्त के बीच ढहा देगा और फिर इस तरह के अतिक्रमण को रोकने के लिए 8 करोड़ रुपए की लागत से यहां सुरक्षात्मक दीवार का निर्माण किया जाएगा। यह सुरक्षात्मक दीवार पहले से ही प्रस्तावित है, पर कोरोना से चलते यह काम किया नहीं जा सका था। वन विभाग ने स्पष्ट किया है कि अब यह काम तेजी से किया जाएगा।
बुनियादी सुविधाएं बंद: यह 1200 निर्माणों के सर्वे की यह सूची नवी मुंबई और ठाणे मनपा को भी दी गई है। वन विभाग का कहना है कि इन दोनों निकायों को इन सभी निर्माणों की बिजली आपूर्ति काट देने व बुनियादी सुविधाएं बंद करने के संबंध में पत्र पहले ही भेजा जा चुका है। उल्लेखनीय है कि 19 जुलाई को कलवा के घोलाईनगर क्षेत्र में हुई भूस्खलन की दुर्घटना में एक ही परिवार के पांच सदस्यों की मौत हो गई थी। तब पर पहाड़ी पर बने इन निर्माणों को लेकर उठी समस्या के मद्देनजर वन विभाग आलोचना किए जाने के बाद ने पिछले कुछ दिनों के भीतर पहाड़ की ढलान पर खड़े अतिक्रमणों का सर्वे शुरू किया था।यह सर्वेक्षण आतकोनेश्वरनगर, भास्करनगर, इंदिरानगर,घोलाईनगर,पोंडपाड़ा, वाघोबानगर और कारगिल खोह आदि परिसरों में किया गया था, यह पता लगाया गया कि ये सभी अतिक्रमण कब-कब हुए, पानी-बिजली के कनेक्शन कब हुए व कितने अतिक्रमण पुराने व नए हैं।