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Thursday, December 11, 2025
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उत्तर प्रदेश: सात जिलों के एसपी समेत 14 आईपीएस अधिकारियों के तबादले

गृह सचिव बने मोहित गुप्ता, वैभव कृष्ण को वाराणसी का डीआईजी

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उत्तर प्रदेश में प्रशासनिक पुनर्गठन की प्रक्रिया लगातार जारी है। सोमवार देर रात शासन ने एक बार फिर बड़ा पुलिसिया फेरबदल करते हुए 14 आईपीएस अधिकारियों के तबादले कर दिए। इस सूची में महाकुंभ मेले के पूर्व डीआईजी रहे चर्चित अधिकारी वैभव कृष्ण से लेकर वाराणसी जोन के आईजी मोहित गुप्ता जैसे वरिष्ठ नाम शामिल हैं। साथ ही सात जिलों के पुलिस कप्तानों को भी नई जिम्मेदारी सौंपी गई है।

मोहित गुप्ता को वाराणसी जोन के आईजी पद से स्थानांतरित कर उत्तर प्रदेश शासन में गृह विभाग का सचिव बनाया गया है। वहीं, प्रयागराज में महाकुंभ की तैयारियों में अहम भूमिका निभा चुके वैभव कृष्ण को अब वाराणसी परिक्षेत्र का पुलिस उपमहानिरीक्षक नियुक्त किया गया है। यह दोनों नियुक्तियां आगामी विधानसभा चुनाव और महाकुंभ जैसे बड़े आयोजनों की रणनीतिक पृष्ठभूमि पर काफी अहम मानी जा रही हैं।

राजकरण नैयर को अयोध्या से स्थानांतरित कर गोरखपुर का वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बनाया गया है, जबकि गोरखपुर के मौजूदा एसएसपी डॉ. गौरव ग्रोवर को अयोध्या की जिम्मेदारी सौंपी गई है। यह बदलाव विशेष रूप से इन दोनों धार्मिक और राजनीतिक रूप से संवेदनशील शहरों की कानून-व्यवस्था को लेकर सरकार की सक्रियता को दर्शाता है।

सेनानायक 35वीं वाहिनी पीएसी लखनऊ, अनूप कुमार सिंह को फतेहपुर का नया एसपी बनाया गया है। वहीं, कौशांबी के एसपी ब्रजेश कुमार श्रीवास्तव को इटावा भेजा गया है और गाजियाबाद पुलिस कमिश्नरेट के उपायुक्त राजेश कुमार द्वितीय को कौशांबी की कमान दी गई है। फतेहपुर के एसपी रहे धवल जायसवाल अब गाजियाबाद के उपायुक्त बनाए गए हैं।

गौरतलब है कि बीते कुछ महीनों में योगी सरकार ने पुलिस और प्रशासनिक महकमे में बार-बार बदलाव कर यह संकेत दिया है कि चुस्त कानून-व्यवस्था और जवाबदेही उसकी प्राथमिकता में है। अप्रैल 2025 में भी 16 आईएएस और 11 आईपीएस अधिकारियों के तबादले किए गए थे, जिनमें अयोध्या के जिलाधिकारी को बदलकर निखिल टीकाराम फूंडे को वहां भेजा गया था। इसी तरह मार्च 2025 में भी सात आईपीएस अधिकारियों को नई जिम्मेदारियां सौंपी गई थीं।

यह सिलसिला स्पष्ट करता है कि 2025 का यह चुनावी साल अफसरशाही में सतर्कता और सख्ती का साल है। तबादलों की यह बिसात न केवल सरकार की रणनीति का हिस्सा है, बल्कि यह संकेत भी है कि योगी प्रशासन आने वाले राजनीतिक और सामाजिक दबावों के लिए अपने तंत्र को समय रहते दुरुस्त करना चाहता है।

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