मुंबई। भाजपा नेता एवं विधायक गोपीचंद पडलकर एसटी महामंडल की मौजूदा स्थिति को लेकर सवाल उठाया है कि उसे जिसकी आवश्यकता ही नहीं है, इस तरह के हजारों करोड़ रुपए के टेंडर को मंजूरी देकर कर्ज चुकाते रहने, पर कर्मियों का वेतन लटकाने की जैसे आदत-सी पड़ गई है। यह सब आखिर किसकी कमीशनखोरी के लिए चल रहा है और एसटी महामंडल में वह सचिन वाजे कौन है?
नौबत आत्महत्या तक
उन्होंने एक वीडियो के जरिए एसटी के लचर कामकाज पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि फिलहाल एसटी कर्मचारी भारी आर्थिक संकट में हैं। उन्हें समय पर वेतन नहीं मिल रहा, कुल मिलाकर हाल बुरा है, बसें खटारा हो गई हैं, बावजूद इसके टेंडर निकालकर अनावश्यक खर्च किया जा रहा है। नौबत यहां तक आ गई है कि वेतन के अभाव में एसटी कर्मचारी आत्महत्या भी कर रहे हैं।
ठाकरे सरकार में नहीं वेतन करार
इस पृष्ठभूमि पर राज्य की ठाकरे सरकार को आड़े हाथों लेते हुए पडलकर ने कहा है कि आम यात्री बड़े ही विश्वासपूर्वक एसटी में सफर करता है, पर इसी एसटी के कर्मचारियों पर आत्महत्या करने की नौबत आ गई, यह बेहद अपमानजनक व खीझ की बात है। वेतनमान एक तो पहले ही टुटपुँजिया है, ऊपर से समय पर नहीं मिलता। ठाकरे सरकार आने के बाद से वेतन करार नहीं हुआ।
एसटी कर्मियों के संग हो न्याय
पडलकर ने कहा है कि इन सारी समस्याओं को लेकर यूनियन को चाहिए कि वह आवाज उठाए, लेकिन वह तो सत्ताधीशों की ताल पर नाच रही है। उन्होंने एसटी कर्मियों को आश्वस्त किया है कि वे उनके साथ खड़े हैं और साथ ही राज्य सरकार से मांग की है कि वह जो राज्य के सरकारी कर्मियों को देती है, वही एसटी कर्मियों को भी दे,अन्यथा संघर्ष अटल है।
21 को सांगली में मीटिंग
उन्होंने एसटी कर्मचारियों से अपील की है कि वे सब इन्हीं सब समस्याओं पर विचार कर हल निकालने के लिए 21 सितंबर को सांगली जिले की आटपाड़ी तहसील स्थित झरे क्षेत्र में बुलाई गई मीटिंग में ज्यादा-से-ज्यादा संख्या में सम्मिलित हों