मुंबई। पावन सावन में बारिश की कभी तेज-कभी मंद फुहारों के बीच जहां वातावरण थोड़ा सर्द-थोड़ा उमस भरा बना हुआ है, वहीं भाजपा की जन आशीर्वाद यात्रा से महाराष्ट्र की सियासत सरगर्म हो उठी है। कभी राज्य में सत्ता की साझेदारी से आगे बढ़ केंद्र की राजनीति व सरकार में एक-दूसरे का साथ निभाने वाली भाजपा-शिवसेना आज कमर कसे आमने-सामने खड़ी हैं। मुंबई में भाजपा की जन आशीर्वाद यात्रा के शुभारंभ पर मचे बवाल के बीच जहां शिवसेना अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने टिप्पणी करते हुए भाजपा पर निशाना साध कहा है कि क्या यह कोरोना की तीसरी लहर का निमंत्रण होगा, वहीं विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने पलटवार किया है कि मुख्यमंत्री की चिंता लाजिमी है, लेकिन वे यही ‘ ब्रह्मज्ञान ‘ कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना को भी दें।
बयानों की खासा आतिशबाजी: फडणवीस ने परामर्श देते हुए ठाकरे सरकार को चिकोटी भरी है, ‘ हमें धर्म-शास्त्र सिखा रहे हैं, बाकी ढेलों को भी सूखा नहीं छोड़ा जाना चाहिए।’ जन आशीर्वाद यात्रा के मौके पर इस तरह महाराष्ट्र की सियासत में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच बयानबाजी के बमों की खासा आतिशबाजी देखने को मिली।
हिचकियाँ भर रहे हैं भाजपा विरोधी: उन्होंने सत्ता पक्ष पर आगे प्रहार करते हुए कहा कि भाजपा को मिल रहे जन समर्थन को देखते हुए विरोधियों को हिचकी भरने लगी है। जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान मिले पुलिस नोटिस और कार्यकर्ताओं के खिलाफ दर्ज मामले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा, ‘ हमारा डीएनए विपक्ष का है, इसलिए भाजपा कार्यकर्ता ऐसे नोटिस और मामलों के आदी हैं, सत्ता पक्ष के लिए पुलिस बल का दुरुपयोग कर भाजपा को रोक पाना संभव नहीं है। हम उससे डरते नहीं हैं, संघर्ष से हमारा गहरा नाता है।’
खुद बालासाहेब भी माफ नहीं करते: फडणवीस ने स्पष्ट किया कि केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के बालासाहेब ठाकरे के स्मारकस्थल पर दर्शनार्थ आने का विरोध करना संकीर्ण सोच वाला रवैया है और इस तरह की संकीर्ण मानसिकता रखने वालों के लिए महाराष्ट्र की संस्कृति में कोई स्थान नहीं है। खुद हिंदूहृदयसम्राट बालासाहेब ठाकरे ने भी इस तरह का बर्ताव करने वालों को माफ नहीं किया होता।