चेंबूर के उस स्कूल ने क्यों रोके थे 10 वीं के रिजल्ट और एलसी, जानें  

चेंबूर के उस स्कूल ने क्यों रोके थे 10 वीं के रिजल्ट और एलसी, जानें  

file photo

मुंबई। चेंबूर के कर्नाटक हाईस्कूल में 10वीं कक्षा के विद्यार्थियों द्वारा फीस न भरे जाने पर रिजल्ट व एलसी रोकने का मामला सामने आया  है।विद्यार्थियों के अभिभावक स्कूल के खिलाफ आंदोलन पर उतारू हो गए हैं। कोरोनाकाल से उपजे आर्थिक संकट में कई अभिभावकों द्वारा फीस न भरने  को लेकर उनके व स्कूल प्रबंधन के बीच गहमागहमी का कारण बनने के बाद राज्य सरकार ने शैक्षणिक वर्ष 2021-22 की फीस में कटौती करने का आदेश दिया है।

स्कूल प्रबंधन की मनमानी: स्कूल की फीस का भुगतान नहीं करने के कारण स्कूल ने 10 वीं कक्षा के कुछ विद्यार्थियों की अंकतालिकाएं और विद्यालय परित्याग प्रमाणपत्र रोक दिए थे। इसके खिलाफ पैरेंट्स और लोकजागृति सोशल फाउंडेशन की स्वाति पाटिल ने आंदोलन शुरू कर दिया है।  स्वाति पाटिल के मुताबिक, ‘  कर्नाटक हाईस्कूल ने अभिभावकों से एडमिशन के दौरान अन्य खर्चों के लिए 2,500 रुपये लिए थे। उसने दो साल पहले प्रोजेक्टर खरीदने के मकसद से 4,500 रुपये भी लिए थे। विद्यार्थियों की सुविधा के लिए माता-पिता यह शुल्क अदा करते हैं। हालांकि, शुल्क बाद में रद्द नहीं किया गया था और माता-पिता से आज भी उतनी ही राशि ली जा रही है।’
रंग लाया आंदोलन: फीस में कटौती के लिए अभिभावकों के बार-बार अनुरोध के बावजूद, स्कूल सीसीटीवी, हाउस-कीपिंग और अन्य चीजों के लिए शुल्क ले रहा है। फिर भी कुछ  विद्यार्थियों के माता-पिता अपनी नाजुक वित्तीय स्थिति के कारण फीस का भुगतान नहीं कर पाने से उनके रिजल्ट व एलसी रोक लेने के मुद्दे पर जारी आंदोलन ने अब रंग लाना शुरू कर दिया है, क्योंकि इसी के उपरान्त उत्तरी मंडल के प्रभारी शिक्षा निरीक्षक देवीदास महाजन ने कर्नाटक हाई स्कूल के प्रधानाध्यापक को निर्देश दिया है कि वे विद्यार्थियों को किसी भी शुल्क के लिए बाधित न करें। उन्होंने विद्यार्थियों को सिर्फआवश्यक दस्तावेज तत्काल उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।
कार्रवाई की मांग: फीस 15 फीसदी कम करने के सरकार के फैसले के बावजूद उक्त प्रकरण से यह बात उभरकर सामने आई है कि कई स्कूल अब भी इस नियम का पालन नहीं कर रहे हैं। महाराष्ट्र नवनिर्माण विद्यार्थी सेना के उपाध्यक्ष चेतन पेडणेकर और मनसे विभागाध्यक्ष धनराज नाईक ने शिक्षा उप निदेशक संदीप सांगवे और स्कूली शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड़ से ऐसे स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

Exit mobile version