मुंबई। बीते 5 दिनों से कोंकण में मूसलाधार बारिश के कारण उत्पन्न बाढ़ जैसे हालात के दरमियान गुरुवार को 2 जगह भूस्खलन की घटनाएँ हुईं, बावजूद इसके महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार ने राहत व बचाव कार्य के लिए नेवी व कोस्टल गार्ड्स की टुकड़ियां बुलाने में खासा लापरवाही बरती, जिससे समय रहते मदद के अभाव में 200 से ज्यादा निर्दोष लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। मुंबई भाजपा के प्रभारी एवं कांदिवली पूर्व के विधायक अतुल भातखलकर ने इस मामले को लेकर ठाकरे सरकार पर लानत भेजते हुए उसके खिलाफ न्यायिक जांच की मांग की है।
तत्पर रहती हैं नेवी व कोस्टल गार्ड्स की टुकड़ियां
मानसून शुरू होते ही किसी भी तरह की आपदा की आशंका के चलते उससे मुकाबले के लिए नेवी व कोस्टल गार्ड्स की टुकड़ियां तत्पर रहा करती हैं और राज्य सरकार का आदेश मिलते ही बताई दिशा में दौड़ पड़ती हैं। बुधवार रात से कमोबेश पूरा चिपलून शहर जलमग्न होने के दौरान ही गुरुवार की सुबह तलई परिसर में भूस्खलन का हादसा हो गया। इस हादसे के बाद राज्य सरकार को फौरन नेवी व कोस्टल गार्ड्स की टुकड़ियों को मदद हेतु बुलाने के लिए लिखित आदेश देने की आवश्यकता थी, पर यह अत्यंत जरूरी कदम उठाया गया शुक्रवार को।
खत लिखने में सीएम को लग गए 24 घंटे
विधायक भातखलकर का कहना है कि हालाँकि, राज्य में बाढ़ जैसी गंभीर स्थिति को देखते हुए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गृहमंत्री अमित शाह ने गुरुवार को ही मुख्यमंत्री से फोन पर चर्चा की थी और सभी आवश्यक मदद करने का आश्वासन भी दिया था। परंतु निष्क्रिय व घर-बैठी ठाकरे सरकार को मदद के लिए पत्र लिखने में 24 घंटे लग गए, यह लापरवाही बिलकुल अक्षम्य है। उन्होंने सवाल उठाया है कि आखिर, और कितने लोगों की जान लेने के बाद राज्य की महाविकास आघाड़ी सरकार की नींद खुलेगी?