मुंबई। भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते इस्तीफा देने वाले महाराष्ट्र के गृहमंत्री रहे अनिल देशमुख की सीबीआई जांच से राज्य सरकार इतनी डरी हुई है कि इसके खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में दाखिल याचिका पर शुक्रवार की रात 11 बजे तक सुनवाई होती रही। इस दौरान राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में कहा कि सीबीआई अनिल देशमुख के खिलाफ दर्ज किए गए मामले की आड़ में पूरे प्रशासन की जांच करना चाहती है। इस तरह की जांच से राज्य के पूरे प्रशासन का मनोबल प्रभावित होगा। राज्य सरकार की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता रफीक दादा ने यह दावा किया।
अधिवक्ता रफीक दादा ने न्यायमूर्ति एसजे काथावाला व न्यायमूर्ति एस पी तावड़े की खंडपीठ के सामने कहा कि सीबीआई ने राज्य सरकार से उस पत्र की प्रति मांगी है जो आईपीएस अधिकारी रश्मि शुक्ला ने राज्य सरकार को पुलिस अधिकारियों की ट्रांसफर व पोस्टिंग के बारे में लिखा था। आखिर सीबीआई को यह दस्तावेज क्यों चाहिए। क्या सीबीआई रश्मि शुक्ला से जुड़े फोन टैपिंग मामले की जांच कर रही हैं? सीबीआई जिस तरह से मामले की जांच कर रही है उससे पूरे प्रशासन का मनोबल गिरेगा। उन्होंने कहा कि आखिर सीबीआई को आईपीएस शुक्ला द्वारा लिखा पत्र क्यों चाहिए। यह पत्र काफी गोपनीय दस्तावेज है।
उन्होंने कहा कि हम सिर्फ इतना कह रहे हैं कि सीबीआई अपनी सीमा के बाहर नहीं जा सकती है। यदि सीबीआई पूर्व मंत्री देशमुख के खिलाफ जांच करती है तो सरकार को कोई आपत्ति नहीं है। खंडपीठ ने अब याचिका पर सुनवाई 26 मई 2021 को रखी है। राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मांग की है कि सीबीआई ने इस मामले को लेकर 21 अप्रैल 2021 को जो एफआईआर दर्ज की है। उसके कुछ हिस्से को लेकर उसे जांच करने से रोका जाए। सीबीआई ने हाईकोर्ट के 5 अप्रैल 2021 को दिए गए निर्देश के तहत इस प्रकरण की प्रारंभिक जांच करने के बाद एफआईआर दर्ज की है। याचिका में मांग की गई है कि सीबीआई को बर्खास्त कर्मचारी सचिन वाझे की बहाली व पुलिस महकमे के ट्रांसफर पोस्टिंग से जुड़े मामले को जांच करने से रोका जाए। मामले की अगली सुनवाई सोमवार को होगी।