पुणे। जिले के 75 गांवों में जीका वायरस का खतरा बढ़ रहा है, पर पुणे के जिस बेलसर गांव में जीका वायरस का पहला केस मिला था, वहां इससे निपटने के लिए प्रशासन की ओर से एक अनूठी पहल की गई है। यहां घर-घर जाकर फ्री में कंडोम बांटे जा रहे हैं। गांव की महिलाओं को 4 महीने तक प्रेग्नेंसी से दूर रहने की सलाह दी जा रही है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम महिलाओं को जाकर उन्हें समझा-बुझा रही है और उनकी काउंसिलिंग कर रही है। दरअसल इसकी एक खास वजह है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि जीका वायरस का सबसे ज्यादा खतरा गर्भवती महिलाओं को है. जीका वायरस की वजह से गर्भ में पल रहे बच्चों पर बुरा असर पड़ने की आशंका रहती है। जीका वायरस पेट में पल रहे शिशु के दिमाग पर असर डाल सकता है।
महिलाओं को अगले 4 महीने तक प्रेग्नेंट ना होने की सलाह दी जा रही है। पुणे के बेलसर गांव की 55 साल की एक महिला में जीका वायरस सबसे पहले पाया गया था. यहां शोध के लिए केंद्र और राज्य की कई टीमें आ चुकी हैं. पुरुषों के स्पर्म में जीका वायरस मिलने की वजह से गांव ने यह फैसला किया है कि गांव के हर सदस्य को सुरक्षित यौन संबंध के लिए जागरूक किया जाएगा। सुरक्षित यौन संबंध बनाने से महिलाओं में जीका वायरस का संक्रमण नहीं फैलेगा। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक जीका एडीज एजिप्टी मच्छर से फैलता है, गर्भवती महिलाओं को जीका होने का खतरा ज्यादा होता है. पुरुष के स्पर्म में यह वायरस 4 महीने तक जिंदा रहता है. जीका पेट में पल रहे शिशु के मस्तिष्क के विकास को रोक सकता है. जीका वायरस की वजह से प्री मेच्योर बच्चा पैदा होने की आशंका भी बढ़ जाती है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से गांव वालों से अपील की गई है कि वे 4 महीने तक गर्भधारण से बचें या कंडोम जैसे प्रेग्नेंसी रोकने वाले उपाय अपनाएं।