ईसी​ को ​एससी​ का नोटिस; ‘नोटा’ को अधिक वोट मिलते हैं, तो नए सिरे से मतदान के लिए कहें​?

ईसी​ को ​एससी​ का नोटिस; ‘नोटा’ को अधिक वोट मिलते हैं, तो नए सिरे से मतदान के लिए कहें​?

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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर पूछा कि क्या ‘नोटा’ को उम्मीदवारों से अधिक वोट मिलने पर उस विशेष निर्वाचन क्षेत्र के चुनाव परिणाम रद्द कर दिए जाने चाहिए और नए सिरे से मतदान कराया जाना चाहिए। उस मौके पर सूरत में निर्विरोध जीत के नतीजे पर भी ध्यान खींचा गया है​|​

यदि मतदाता उम्मीदवारों को वोट दिए बिना `नोटा” विकल्प को स्वीकार करते हैं और इसके तहत सबसे अधिक वोट दर्ज किए जाते हैं,तो`नोटा” से कम पाने वाले उम्मीदवारों को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए पाँच साल तक सभी चुनाव लड़ने से। लेखक शिव खेड़ा ने इसके लिए नियम बनाने की मांग को लेकर जनहित याचिका दायर की है|मुख्य न्यायाधीश धनंजय चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी.पारदीवाला और न्या.मनोज मिश्रा की बेंच के सामने शुक्रवार को सुनवाई हुई|

खेड़ा की ओर से बहस करते हुए वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायण ने सूरत फैसले का जिक्र किया| सूरत में, कांग्रेस उम्मीदवारों और वैकल्पिक उम्मीदवारों दोनों के नामांकन पत्र अवैध घोषित कर दिए गए। इन लोकसभा क्षेत्रों से आठ अन्य उम्मीदवारों ने अपने आवेदन वापस ले लिये। इसलिए सूरत में भाजपा उम्मीदवार बिना चुनाव जीते| यदि यहां मतदान हुआ होता तो मतदाता भाजपा प्रत्याशी या ‘नोटा’ को वोट दे सकते थे। लेकिन, यहां वोटिंग नहीं हुई|

शंकरनारायण ने तर्क दिया कि मतदाताओं को ‘नोटा’ विकल्प स्वीकार करने का अवसर दिया जाना चाहिए था। यह मुद्दा भी उठाया गया कि ‘नोटा’ को ‘काल्पनिक उम्मीदवार’ माना जाए और उसके लिए भी नियम बनाए जाएं|

2013 में पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज द्वारा दायर एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ‘नोटा’ का विकल्प शामिल करने का निर्देश दिया था| यदि मतदाता निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव में खड़े किसी भी उम्मीदवार से संतुष्ट नहीं है, तो वह ‘नोटा’ के लिए वोट कर सकता है।

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