कश्मीर से कन्याकुमारी तक! 230 सीटों पर ​भाजपा​-कांग्रेस को तगड़ा झटका देंगी 8 पार्टियां?

कश्मीर से कन्याकुमारी तक! 230 सीटों पर ​भाजपा​-कांग्रेस को तगड़ा झटका देंगी 8 पार्टियां?

From Kashmir to Kanyakumari! Will 8 parties give a big blow to BJP-Congress on 230 seats?

भारतीय जनता पार्टी (​भाजपा​) 40 पार्टियों और कांग्रेस 27 पार्टियों के साथ कांटे की टक्कर में है​, लेकिन 8 राज्यों में 8 छोटी पार्टियां इन बड़ी पार्टियों का खेल बिगाड़ सकती हैं​|​भाजपा​ और कांग्रेस उम्मीदवारों के खिलाफ आठ पार्टियों ने गठबंधन कर मोर्चा खोल दिया है​|​ कहा जा रहा है कि अगर यह पार्टी अच्छा प्रदर्शन करने में सफल रही तो कांग्रेस और ​भाजपा​ का खेल बिगड़ सकता है​|​

इसका डर एनडीए-​इंडिया​ गठबंधन दोनों को है, इसलिए ​भाजपा​ और कांग्रेस इन पार्टियों के प्रभाव वाले इलाकों में अलग-अलग रणनीति बना रही हैं​|​ इन पार्टियों के वोट बैंक को ध्यान में रखकर उम्मीदवारों का चयन किया जा रहा है, ताकि नुकसान को कम किया जा सके​|​ प्रचार में भी बड़े नेता सीधे तौर पर इन पार्टियों पर हमला नहीं बोलते​|​​ आंकड़ों के हिसाब से देखें तो देशभर में इन पार्टियों का वोट शेयर 15 फीसदी के आसपास हो सकता है, लेकिन करीब 230 लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जहां इनका दबदबा काफी ज्यादा है और ये चुनावी त्रिकोणीय स्थिति बनाने के लिए तैयार हैं।

दक्षिण से उत्तर की ओर​ ये क्षेत्रीय पार्टियां हैं सत्ता में: ​एआईएडीएमके​ ‘ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम​ तमिलनाडु की क्षेत्रीय पार्टी है। फिलहाल पार्टी तमिलनाडु विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल की भूमिका निभा रही है​|​ पार्टी का तमिलनाडु की 39 और पुडुचेरी की एक सीट पर सीधा प्रभाव है। पिछले चुनाव में एआईएडीएमके ​भाजपा​ के साथ थी, लेकिन द्रविड़ मुद्दे पर उसने एनडीए छोड़ दिया था।

​​2024 के लोकसभा चुनाव से पहले एआईएडीएमके के एनडीए में लौटने की भी चर्चा थी, लेकिन पार्टी ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया। तमिलनाडु में एक तरफ ​भाजपा​ और डीएमके का गठबंधन है तो दूसरी तरफ डीएमके और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं​|​ हालांकि, कहा जा रहा है कि इन दोनों में से किसे बढ़त मिलेगी यह एआईएडीएमके के प्रदर्शन पर निर्भर करेगा​|​

​​वाईएसआर कांग्रेस:आंध्र प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी वाईएसआर कांग्रेस भी इस चुनाव में अकेले लड़ रही है​|​ लोकसभा के साथ-साथ आंध्र प्रदेश में विधानसभा चुनाव भी प्रस्तावित हैं​|​ आंध्र में कुल 25 लोकसभा सीटें हैं। पिछले चुनाव में वाईएसआर ने एकतरफा जीत हासिल की थी​|​ हालांकि इस बार पार्टी की राह आसान नहीं है​|​ एक तरफ ​भाजपा​ और टीडीपी का गठबंधन है तो दूसरी तरफ कांग्रेस भी कड़ी टक्कर दे रही है​|​ आंध्र का नतीजा काफी हद तक वाईएसआर के प्रदर्शन पर भी निर्भर करेगा​|​

​​वंचित बहुजन अघा​डी: प्रकाश आंबेडकर वंचित बहुजन अघा​डी पार्टी चलाते हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में अंबेडकर की पार्टी को 6.92 फीसदी वोट मिले थे​|​ महाविकास अघाड़ी की संभावना होने पर उन्होंने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है​|​ महाविकास अघाड़ी को झटका लगा क्योंकि प्रकाश अंबेडकर ने कोई ठोस पद और सीटों की मांग नहीं की​|​ राज्य की करीब 12 सीटों पर बहुजन अघाड़ी का सीधा प्रभाव है​|​ पिछले चुनाव में प्रकाश अंबेडकर अकोला सीट पर दूसरे नंबर पर थे​|​ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा है कि अंबेडकर​ भाजपा के इशारे पर काम कर रहे हैं और महागठबंधन का खेल बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं​|​

​​बहुजन समाज पार्टी: उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की 84 लोकसभा सीटों पर मायावती की बहुजन समाज पार्टी मजबूत स्थिति में है​|​ 2019 में मायावती ने एसपी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा था, लेकिन इस बार पार्टी अकेले लड़ रही है​|​ 2014 में भी बीएसपी ने अकेले चुनाव लड़ा था और करीब 70 सीटों पर एसपी का खेल बिगाड़ दिया था​|​ हालांकि इस बार सपा का कांग्रेस के साथ गठबंधन है, लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश और बुंदेलखंड की सीटों पर बसपा का डर अभी भी सता रहा है​|​ मध्य प्रदेश के ग्वालियर-चंबल में भी बसपा मजबूत स्थिति में है​|​ अगर बसपा यहां अच्छा प्रदर्शन करती है तो कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ सकती हैं​|​

​बीआरएस: तेलंगाना की मुख्य विपक्षी पार्टी बीआरएस इस बार अकेले चुनाव लड़ रही है| तेलंगाना में कुल 17 लोकसभा सीटें हैं, जिनमें से पिछली बार बीआरएस ने 9 सीटें जीती थीं। तेलंगाना में भाजपा और कांग्रेस 2019 के मुकाबले मजबूत हैं, लेकिन बीआरएस कई सीटों पर खेल बिगाड़ सकती है| हाल ही में हुए तेलंगाना विधानसभा चुनाव में बीआरएस को 37 फीसदी वोट मिले, जो सत्तारूढ़ कांग्रेस से सिर्फ 2 फीसदी कम था| तेलंगाना के शहरी इलाकों में केसीआर की पार्टी का अब भी दबदबा है|

​​तृणमूल कांग्रेस: पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस भी इस बार अकेले मैदान में है​|​ बंगाल में कुल 42 लोकसभा सीटें हैं। पहले ममता के सीपीएम और कांग्रेस के साथ गठबंधन करने की चर्चा थी, लेकिन आखिरकार ममता ने अकेले ही आगे बढ़ने की राह पकड़ ली​|​ममता ने कांग्रेस और ​भाजपा​ दोनों पार्टियों के खिलाफ जोरदार मोर्चा खोल रखा है​|​ममता ने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन के खिलाफ क्रिकेटर यूसुफ पठान को मैदान में उतारा है, जबकि उन्होंने भाजपा के गढ़ तमलुक से युवा चेहरे देवांग्शु भट्टाचार्य को उम्मीदवार बनाया है। 2019 में बंगाल में ​भाजपा ने 18, कांग्रेस ने 2 और ममता की पार्टी ने 22 सीटें जीतीं​|​

​आरएलडी और जेजेपी: हालांकि हरियाणा में मुख्य लड़ाई भाजपा और कांग्रेस गठबंधन के बीच है, लेकिन सभी की निगाहें आरएलडी और जेजेपी जैसे क्षेत्रीय दलों पर हैं। इस बार दोनों पार्टियां अकेले चुनाव लड़ रही हैं| दोनों की जाट समुदाय में मजबूत पकड़ है| हाल तक एनडीए गठबंधन में जेजेपी भी शामिल थी|बता दें कि हरियाणा में कुल 10 लोकसभा सीटें हैं|

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